कोरोना काल में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लहलहाई कंगनी
कोरोना काल में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बाजार में नए-नए प्रोडक्ट आ रहे हैं। प्रतिरोधक क्षमता ही कोरोना को हराने में मददगार है। ऐसे में जिले के एक जागरुक किसान ने कंगनी की फसल तैयार की है। किसान का दावा है कि इसका सेवन घातक बीमारियों के साथ-साथ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है।
बुलंदशहर, जेएनएन। कोरोना काल में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बाजार में नए-नए प्रोडक्ट आ रहे हैं। प्रतिरोधक क्षमता ही कोरोना को हराने में मददगार है। ऐसे में जिले के एक जागरुक किसान ने कंगनी की फसल तैयार की है। किसान का दावा है कि इसका सेवन घातक बीमारियों के साथ-साथ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती करने वाले किसान संजीव शर्मा मोटा अनाज में शामिल कंगनी, रागी, संवा, कुटकी और कोड़ों की खेती करने में जुटे हैं। इन्होंने फिलहाल कंगनी और राखी की फसल तैयार की है। दो माह की फसल कांगनी 13 अगस्त तक कट जाएगी। इसके चावल के दाम बाजार में 180 रुपये किलो बताए जा रहे हैं। एक बीघा में 120 से 150 किलो चावल इसमें से निकल जाते हैं।
संजीव शर्मा ने बताया कि यह फसल 30-40 वर्ष पूर्व पहाड़ों पर उत्पादन किया जाता था, लेकिन बाजार में मांग कम होने के चलते यह लुप्त होती चली गई। कोरोना काल में मोटे अनाज की भारी मांग है। फसल को मात्र एक बार सिचाई और एक बार नराई की जाती है, जिसके बाद फसल तैयार। इसमें 60 दिनों की फसल से आमदनी अन्य फसलों से चार गुणा अधिक है।
.... इन्होंने कहा
मोटे अनाज में शामिल कंगनी स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। इसमें बाइबर होता है। ग्लूटन बिल्कुल भी नहीं होता। पूर्व में यह चावल आदिवासियों का खाना बताया जाता था, लेकिन वर्तमान में यह बाजार में खोजने से भी नहीं मिलता।
आरपी चौधरी, उपनिदेशक कृषि।