बुलंदशहर हिंसा : जीतेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी को नहीं मिली जमानत
बुलंदशहर हिंसा के आरोपी जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी को आज यहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया था। जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी की जमानत याचिका आज खारिज कर दी गई।
बुलंदशहर, जेएनएन। गोवंश के अवशेष मिलने के बाद हिंसा में इंस्पेक्टर के साथ एक युवक की हत्या के मामले में आरोपी सेना के जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी की जमानत याचिका आज खारिज कर दी गई। सेना के जवान की जीतू फौजी की इस मामले की जांच कर रही एसआइटी ने रिमांड भी मांगी है।
बुलंदशहर हिंसा के आरोपी जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी को आज यहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया था। उसकी जमानत याचिका पर सीजेएम ने सुनवाई की। जीतू के वकील भी उसे जमानत दिलवाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे थे। आज उनका प्रयास बेकार हो गया।जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी की जमानत याचिका आज खारिज कर दी गई।
इस मामले में जीतू फौजी ने बताया कि वह बलवाइयों के बीच फंस गया था। उसने किसी पर भी गोली नहीं चलाई थी। जीतू फौजी ने भी पुलिस के सवालों का जवाब देना शुरू कर दिया है। बुलंदशहर में 3 दिसंबर को हुई हिंसा के पीछे के कारणों को जानने के लिए पुलिस मशक्कत कर रही है। हिंसा के आरोपी जितेंद्र उर्फ जीतू फौजी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में है। इस दौरान उसने पुलिस को बताया कि हिंसा के वक्त वह गढ़मुक्तेश्वर-बुलंदशहर रुट पर बवाल होने की वजह से बलवाइयों के बीच फंस गया था और तभी किसी ने वीडियो बनाया। कोर्ट में होने वाली पेशी से पहले यूपी पुलिस ने जीतू से करीब 500 सवाल पूछे थे। इसके साथ ही इस हिंसा की जांच कर रही एसआईटी के साथ एसटीएफ ने भी जीतू के अलग-अलग करीब 10 घंटे पूछताछ भी की।
कॉल रिकार्ड डिटेल में भी जीतू के मोबाइल की लोकेशन घटनास्थल पर भी मिली है। यही कारण है कि मोबाइल की फोरेंसिक जांच होगी। इस दौरान जीतू के मोबाइल के डेटा का पता लगाया जाएगा। जीतू ने पहले भी एसटीएफ को बताया था, वह उस दौरान भीड़ में मौजूद था लेकिन उसने गोली नहीं चलाई थी। बुलंदशहर में हुई हिंसा में पुलिस ने कुल 87 लोगों पर केस दर्ज किया है। इनमें 27 नामजद और 60 अज्ञात है।
तीन दिसंबर को बुलंदशहर में गोकशी विवाद से भड़की हिंसा में भीड़ ने यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उस हिंसक भीड़ में जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात 22 राजपूताना राइफल्स का जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी भी शामिल था। पुलिस ने फौजी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की थी। हिंसा के बाद गिरफ्तार लोगों से पूछताछ और हिंसा के वीडियो खंगालने के बाद पुलिस को शक हुआ कि गोली शायद जीतू फौजी ने ही चलाई थी।