Move to Jagran APP

अमेरिकन कपास से भरेगा किसान का घर और धरती की कोख

जल ही जीवन है। यह बताने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें खूब प्रचार प्रसार करती है। उधर खेतों में फसल उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में भूजल का प्रयोग होता है जिससे काफी मात्र में भूजल दोहन होता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 11:25 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 11:25 PM (IST)
अमेरिकन कपास से भरेगा किसान का घर और धरती की कोख
अमेरिकन कपास से भरेगा किसान का घर और धरती की कोख

बुलंदशहर, जेएनएन। जल ही जीवन है। यह बताने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें खूब प्रचार प्रसार करती है। उधर, खेतों में फसल उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में भूजल का प्रयोग होता है, जिससे काफी मात्र में भूजल दोहन होता है। ऐसे में सरदार बल्लभ भाई पटेल अनुसंधान केंद्र में कपास पर शोध कर बिना सिचाई के ही भरपूर फसल देने योग्य प्रजाति तैयार की है। इस कपास की खेती को नाममात्र ही पानी देने की जरूरत है। यह बिना पानी के ही किसान को पूरा लाभ देगी। जिससे साफ है कि कपास की खेती से किसान की आर्थिक स्थिति तो सुधरेगी ही, साथ ही धरती की कोख भी खाली नहीं होगी और जल से भरी रहेगी।

loksabha election banner

सरदार बल्लभ भाई पटेल अनुसंधान केंद्र पुरानी विरासत को बचाए हुए है। अनुसंधान केंद्र में प्रतिवर्ष 400 किस्मों की कपास की पैदावार कर रहा है। पैदावार के लिए बीज की पर्याप्त मात्रा तैयार रहे। अनुसंधान केंद्र में वर्तमान में कपास के 400 जर्म प्लाज्म तैयार है। जिले में गन्ना, धान और गेहूं की बड़े पैमाने पर खेती होती है। जिससे क्षमता से अधिक जल का दोहन हो रहा है। जिससे जनपद के कई ब्लाक डार्क जोन में चले गए हैं।

पौधे की प्रजाति में किया सुधार

अनुसंधान केंद्र पर तैयार की कपास की किस्मों को अमेरिकन कपास की तर्ज पर विकसित किया है। केंद्र पर तैयार कपास की किस्म के पौधों की ऊंचाई कम होने से पानी की खपत कम होती है। जिस कारण कपास के ये किस्म पानी की बचत में सार्थक साबित होगी। देशी कपास के पौधे की ऊंचाई छह से सात फीट होती हैं, लेकिन केंद्र पर तैयार कपास के पौधों की ऊंचाई 4 चार से पांच फीट ही रहेगी। पौधा छोटा होने के कारण उसकी जड़ें भी जमीन में कम गहराई तक जाएगी, जिससे पानी भी कम सोखेगा।

इन्होंने कहा ..

जिले में बड़े पैमाने पर कपास सहित तिलहन और दलहन की खेती की जाती थी। परंतु अब जिले में कपास की खेती नाम मात्र रह गई है। केंद्र पर वर्तमान में 400 किस्म की कपास तैयार है। जिसको हर साल उगाया जाता है।

- डा. शिव सिंह, प्रभारी सरदार बल्लभ भाई पटेल अनुसंधान केंद्र


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.