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पांच साल में रोपे गए 75 लाख पौधे, फिर पर तप रही धरती

पिछले पांच साल के दौरान सरकार के पर्यावरण संरक्षण के लिए अभियान चलाकर जिले में 75 लाख पौधों का रोपण किया। पौधा रोपण के साथ विभिन्न विभागों को इनकी देखरेख और वृक्ष बनने तक जिम्मेदारी दी गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 11:06 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 11:06 PM (IST)
पांच साल में रोपे गए 75 लाख पौधे, फिर पर तप रही धरती
पांच साल में रोपे गए 75 लाख पौधे, फिर पर तप रही धरती

बुलंदशहर, जेएनएन। पिछले पांच साल के दौरान सरकार के पर्यावरण संरक्षण के लिए अभियान चलाकर जिले में 75 लाख पौधों का रोपण किया। पौधा रोपण के साथ विभिन्न विभागों को इनकी देखरेख और वृक्ष बनने तक जिम्मेदारी दी गई। लेकिन लापरवाही के कारण अधिकांश पौधों पेड़ बनने से पहले ही गायब हो गए। उधर, पौधों के संरक्षक बने विभागों ने भी अपनी रिपोर्ट में सब कुछ ठीकठाक कर लिया। लेकिन धरातल पर स्थिति आंकड़ों की पोल खोल रही है।

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हर वर्ष पर्यावरण का हराभरा बनाने के लिए बड़ी संख्या में प्रदेश भर में पौधों का रोपण किया जाता रहा है। इस अभियान के अंतर्गत जनपद में भी अच्छी खासी संख्या में विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण किया गया। बात पिछले पांच साल की करें तो जिले में 75 लाख से अधिक पौधे रोपित किए गए। पिछले वर्ष ही जिले में 32 लाख पौधों का रोपण किया गया, जबकि वर्ष 2018 में यहां रोपित हुए पौधों की संख्या बीस लाख थी। ऐसे में इस बार जिले में 33 लाख पौधों के रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और तमाम विभागों को लक्ष्य देते हुए तैयारी करने के लिए भी निर्देशित किया जा चुका है। इतना सब होने के बाद भी सवाल उठता है कि बड़ी संख्या में पौधा रोपण होने के बाद भी जनपद में वनाच्छादित क्षेत्रफल मे इजाफा नहीं हो सका है और लगाए गए पौधे भी धरातल से गायब हो गए हैं। उजड़ गया कान्हा उपवन

पिछले साल सावन माह में शुरू हुए पौधा रोपण अभियान के दौरान जिलाधिकारी रविद्र कुमार ने सिकंदराबाद-गुलावठी मार्ग पर स्थित पंचायती भूमि पर कान्हा उपवन की स्थापना की थी। इस उपवन में तमाम औषधीय पौधों का रोपण किया गया था। उपवन की देखरेख की जिम्मेदारी सिकंदराबाद तहसील प्रशासन को दी गई थी। शुरू में उपवन की तारबंदी कर गेट भी लगाया गया और कुछ दिनों तक वन विभाग की टीम भी यहां देखरेख के लिए पहुंचती रही। लेकिन समय बीतने के साथ ही लापरवाही का दौर शुरू हो गया। मात्र दो माह ही हराभरा रहने वाला उपवन उजड़ना शुरू हो गया। छह माह तक उपवन में लगे तमाम पौधे देखरेख के अभाव में नष्ट हो गए। फिलहाल उजड़ चुका है और इस लापरवाही की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है। लगाए थे सब अच्छे पौधे

वन विभाग की माने तो अभियान के दौरान जनपद में फल और छायादार पौधों का रोपण किया गया था। इसमें आम से लेकर शीसम, जामुन, अनार, पिलखन, पीपल, नीम आदि के पौधे मुख्य थे। वन विभाग की ओर से पौधों को बचाने के लिए ट्री गार्ड भी लगाए गए। उधर, धरातल पर देखें तो ट्री गार्ड में लगाए गए पौधे भी नष्ट हो चुके हैं। इन्होंने कहा ..

पौधारोपण के साथ संबंधित विभाग की जिम्मेदारी भी तय की गई थी। पौधों कैसे नष्ट हो गए, इसकी जांच कराई जाएगी। फिलहाल पौधा रोपण के अभियान की तैयारी चल रही है और अच्छी प्रजाति के पौधों का ही रोपण किया जाएगा।

- रविंद्र कुमार, जिलाधिकारी


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