देश के लिए एकजुट होकर लड़ना होगा
कोरोना संक्रमण ने देश के विभिन्न राज्यों में अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है।
बिजनौर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण ने देश के विभिन्न राज्यों में अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। सरकार कड़े निर्देशों के साथ-साथ लगातार अपील भी कर रही है, लेकिन आज भी कुछ लोग लॉकडाउन का पूरा पालन नहीं कर रहे हैं। कुछ लोगों की लापरवाही से पूरा देश संकट में पड़ गया है। ऐसे में आवश्यक है कि कोरोना जैसे गंभीर संकट से लड़ाई में सभी की भागीदारी होना आवश्यक है। एक भी कड़ी टूटी तो यह समस्या गंभीर हालात पैदा कर सकती है।
यह कहना है गौरी शंकर सुकोमल (76) का। उन्होंने अपने जीवन इस तरह की परिस्थिति की कल्पना कभी नहीं की थी। नगर के मोहल्ला गुजरातियान निवासी वरिष्ठ साहित्यकार व समाजसेवी गौरी शंकर सुकोमल ने अपनी जीवन के अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके मन-मस्तिष्क में भारत-चीन व भारत-पाकिस्तान युद्ध और आपातकाल जैसी परिस्थितियों की यादें आज भी ताजा हैं। उस दौरान भी देश के सामने गंभीर समस्याएं खड़ी हो गई थीं, पूरे देश में आपात की स्थिति में पूरा देश एकजुट था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा देश ने कई गंभीर बीमारियों के कारण विषम परिस्थितियों का भी सामना किया है, लेकिन कभी आज की स्थिति जैसी कल्पना भी नहीं की थी। आपातकाल और कर्फ्यू जैसे माहौल भी देश की जनता देख चुकी है, लेकिन आज देश के सामने कोरोना के रूप में जो संकट आ खड़ा हुआ है, वह वास्तव में कल्पना से परे है। गौरी शंकर सुकोमल का कहना है कि देश को किसी भी संकट काल से उबारने में जहां सरकार का बड़ा हाथ होता है, वहीं देश की जनता के सहयोग और एकजुटता के बिना कुछ भी संभव नहीं है। सरकार द्वारा लागू किए गए लॉकडाउन में सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, किसी की जरा सी भी लापरवाही पूरे देश को गंभीर संकट में डाल सकती है। सरकार ने अपने देश की स्थिति का आंकलन करते हुए जो फैसला लिया है, वह पूर्णत: सही है। जब तक इस फैसले में आम जनता सरकार का पूर्ण सहयोग नहीं करेगी तो सरकार के प्रयास भी विफल हो जाएंगे। इस संकट से जूझने के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।