केवल नाम का ही उत्पादन केंद्र बना प्रशिक्षण केंद्र
नजीबाबाद स्थित मंडलीय ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केंद्र को उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करने का खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड को लाभ नहीं हो सका है। एक ओर सोलर चरखे पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहे हैं और दूसरी ओर विद्युत चालित सिलाई मशीनें शोपीस बनी पड़ी हैं।
बिजनौर, जागरण टीम। नजीबाबाद स्थित मंडलीय ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केंद्र को उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करने का खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड को लाभ नहीं हो सका है। एक ओर सोलर चरखे पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहे हैं और दूसरी ओर विद्युत चालित सिलाई मशीनें शोपीस बनी पड़ी हैं। अब तक काफी मात्रा में तैयार किया गया धागा भी केंद्र पर ही रखा है।
खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा संचालित मंडलीय ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केंद्र पर दो वर्ष पहले 20 सोलर चरखे लाए गए थे। शुरुआती दौर में इन सोलर चरखों को चलाने का प्रशिक्षण दिया गया था। बाद में प्रशिक्षणार्थियों के नहीं आने, सामान चोरी होने, बंद पड़े होने से बैटरी आदि सामान खराब होने की स्थिति को देखते हुए प्रशिक्षण केंद्र को उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित किया गया था। अनुमान था कि सोलर चरखे पूरी क्षमता से चलने से जहां महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं खादी के कपड़े को बढ़ावा दिया जा सकेगा।
इस समय केंद्र पर केवल चार-पांच चरखे ही चल पा रहे हैं। उन पर भी महिलाएं नियमित रूप से काम नहीं कर रही हैं। अन्य चरखों में बैटरी, मोटर आदि की तकनीकी कमी होने से चरखे नहीं चल पा रहे हैं। वहीं, केंद्र पर विद्युत चालित सिलाई मशीनों का भी प्रशिक्षण देने के लिए सिलाई मशीनें लाई गई थीं। वह भी कमरे में बंद धूल फांक रही हैं। प्रशिक्षण के शुरुआती सत्र के बाद से मशीनें बंद पड़ी हैं। हालांकि पिछले कुछ महीनों में केंद्र पर माटी कला का प्रशिक्षण दिया गया, लेकिन सोलर चरखों और विद्युत चालित मशीनों को संचालित नहीं किया जा सका।
-इनका कहना है
खराब सोलर चरखों को जल्द ही ठीक कराकर पूरी क्षमता से चलाया जाएगा। मौसम और कोरोना संक्रमण को देखते हुए अभी चार-पांच महिलाएं ही काम कर रही हैं। हालांकि कोरोनाकाल में व्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं, लेकिन सोलर चरखे लगने के बाद से केंद्र पर करीब आठ-नौ कुंतल धागा तैयार किया गया है। -सोमप्रकाश, प्राचार्य- मंडलीय ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केंद्र नजीबाबाद