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शिक्षकों ने पीएफआरडीए बिल की प्रतियां जलाईं

अटेवा पेंशन बचाओ मंच उत्तर प्रदेश के प्रांतीय आह्वान पर जनपद शाखा बिजनौर द्वारा एक अप्रैल को काले दिवस के रूप में मनाया गया। जनपद की विभिन्न शिक्षक एवं कर्मचारी संस्थाओं में पीएफआरडीए बिल की प्रतियों को जलाया गया। साथ ही काला फीता बांधकर कार्य करते हुए एनपीएस एवं निजीकरण का विरोध किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Apr 2021 11:09 PM (IST)Updated: Thu, 01 Apr 2021 11:09 PM (IST)
शिक्षकों ने पीएफआरडीए बिल की प्रतियां जलाईं
शिक्षकों ने पीएफआरडीए बिल की प्रतियां जलाईं

जेएनएन, बिजनौर। अटेवा पेंशन बचाओ मंच उत्तर प्रदेश के प्रांतीय आह्वान पर जनपद शाखा बिजनौर द्वारा एक अप्रैल को काले दिवस के रूप में मनाया गया। जनपद की विभिन्न शिक्षक एवं कर्मचारी संस्थाओं में पीएफआरडीए बिल की प्रतियों को जलाया गया। साथ ही काला फीता बांधकर कार्य करते हुए एनपीएस एवं निजीकरण का विरोध किया।

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प्रांतीय उपाध्यक्ष चंद्रहास सिंह ने कहा एक अप्रैल 2005 उत्तर प्रदेश में नई पेंशन व्यवस्था के काले कानून को लागू किया गया। आज प्रदेश का 17 लाख से अधिक शिक्षक एवं कर्मचारी झेल रहा है। पेंशन के नाम पर शिक्षक एवं कर्मचारियों को गुमराह करने का काम किया गया है। जिला संरक्षक डा. भूपेंद्र सिंह ने कहा एनपीएस पेंशन स्कीम नहीं, बल्कि नो पेंशन स्कीम है। सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक एवं कर्मचारियों को मात्र 850 से 1200 रुपये तक की पेंशन दी जा रही है। कार्यक्रम का नेतृत्व रजनीश कुमार, गर्वित चौधरी, कामिनी दिवाकर, करतार सिंह, संजय कुमार सिंह, सुनील कुमार, कौशलेंद्र कुमार, प्रदीप कुमार एवं आशकर आलम ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रहलाद सिंह कार्य देशक, आशीष कुमार सक्सेना, कुलदीप, सतवीर सिंह, बृजेश खरवार प्रेम सिंह, विजय पाल सिंह, राहुल सिंह, अशोक कुमार, अनुज कुमार, राज सिंह, विनोद यादव, डा. सुनील कुमार, प्रदीप कुमार, उमेश राजपूत, कुलदीप आदि का विशेष सहयोग रहा। नांगलसोती: राजा भरत सिंह इंटर कालेज में केंद्र सरकार के एनपीएस कानून के विरोध में शिक्षक एवं कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। कर्मचारियों ने कहा कि अटेवा के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने एनपीएस के विरोध में अपील की है कि एनपीएस का काली पट्टी बांधकर विरोध करें। भारत में सीमा पर शहीद सपूतों को कोई पेंशन नहीं, जबकि सांसद एवं विधायकों को आठ-आठ पेंशन मिल रहीं हैं, जबकि सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले के अनुसार पेंशन कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है। आज केवल पश्चिम बंगाल में पुरानी पेंशन लागू है। अन्य राज्यों में समय समय पर एनपीएस लागू किया जा चुका है। एनपीएस एक शेयर बाजार आधारित योजना है। जिसमें सेवा, सम्मान, सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। विरोध प्रदर्शन में राजीव चौहान, हरवीर सिंह, सुरेशचंद्र राजपूत, अशोक कुमार, सत्यवीर सिंह, सत्यप्रकाश आर्य, सर्वेशचंद्र शर्मा, राकेश सैनी, संजय सिंह, बसंत यादव, सतेंद्र यादव, विनय कुमार सहित कई शिक्षक शामिल रहे।

नजीबाबाद: अटेवा पेंशन बचाओ मंच उत्तर प्रदेश के प्रांतीय आह्वान पर शिक्षकों ने गुरुवार को काला दिवस मनाया। आचार्य आरएन केला इंटर कालेज में विरोध प्रदर्शन के दौरान पीएफआरडीए बिल की प्रतियां जलाई गईं।

गुरुवार को अटेवा पेंशन बचाओ मंच की बैठक में प्रांतीय उपाध्यक्ष चंद्रहास सिंह ने कहा कि एक अप्रैल 2005 को उत्तर प्रदेश में नई पेंशन व्यवस्था के काले कानून को लागू किया गया था। जिसे आज प्रदेश के 17 लाख से अधिक शिक्षक एवं कर्मचारी झेल रहे हैं। पेंशन के नाम पर शिक्षक एवं कर्मचारियों को गुमराह करने का काम किया गया है। जिला संरक्षक डा.भूपेंद्र कुमार ने कहा एनपीएस पेंशन स्कीम नहीं, बल्कि नो पेंशन स्कीम है। आज सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक एवं कर्मचारियों को मात्र 850 से 1200 रुपये तक की पेंशन दी जा रही है, जो वृद्धा पेंशन से भी कम है। रजनीश कुमार, गर्वित चौधरी, कामिनी, दिवाकर, करतार सिंह, संजय कुमार, सुनील कुमार, कौशलेंद्र कुमार, प्रदीप कुमार, प्रहलाद सिंह, आशीष सक्सेना, कुलदीप, सतवीर सिंह, बृजेश खरवार, प्रेम सिंह, विजयपाल सिंह, राहुल सिंह, अशोक कुमार, विनोद यादव आदि शिक्षकों ने काला फीता बांधकर काम किया और विरोध करते पीएफआरडीए बिल की प्रतियां जलाईं।


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