रिलेशनशिप मैनेजमेंट... रिलेशनशिप मैनेजमेंट कुशल नेतृत्व का परिचायक
संसू नूरपुर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विभिन्न संस्थानों तथा कार्यालयों में बेहतर संबंध प्रबंधन एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। वर्तमान में कोई भी संस्थान अपने अधिकारियों तथा कर्मचारियों के सामंजस्य के साथ साथ ग्राहकों के संबंध प्रबंधन को भी प्रमुख स्थान देता है। एक बेहतर संबंध प्रबंधन के क्रियान्वयन के लिए अनेक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। जैसे वातावरण के अनुरूप संबंध प्रबंधन किया जाना व्यापक रणनीति तैयार करना उपलब्ध साधनों का कार्यन्वयन स्थापित करना उचित संवाद एवं वार्तालाप का प्रशिक्षण देना तथा संस्थान के हित में लिए गए फैसलों को उपयुक्त रूप से प्रसारित करना भी आवश्यक होता है। व्यापारिक संस्थानों में संबंध प्रबंधन को ग्राहक संबंध प्रबंधन के रूप में ग्राहक संतुष्टि तथा सर्वेक्षण के लिए प्रयोग किया जाता है।
बिजनौर, जेएनएन : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विभिन्न संस्थानों तथा कार्यालयों में बेहतर संबंध प्रबंधन एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। वर्तमान में कोई भी संस्थान अपने अधिकारियों तथा कर्मचारियों के सामंजस्य के साथ साथ ग्राहकों के संबंध प्रबंधन को भी प्रमुख स्थान देता है। एक बेहतर संबंध प्रबंधन के क्रियान्वयन के लिए अनेक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। जैसे वातावरण के अनुरूप संबंध प्रबंधन किया जाना, व्यापक रणनीति तैयार करना, उपलब्ध साधनों का कार्यन्वयन स्थापित करना, उचित संवाद एवं वार्तालाप का प्रशिक्षण देना तथा संस्थान के हित में लिए गए फैसलों को उपयुक्त रूप से प्रसारित करना भी आवश्यक होता है। व्यापारिक संस्थानों में संबंध प्रबंधन को ग्राहक संबंध प्रबंधन के रूप में ग्राहक संतुष्टि तथा सर्वेक्षण के लिए प्रयोग किया जाता है।
वर्तमान समय में ग्राहक संबंध प्रबंधन की विभिन्न तकनीकियों को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से उपयोग किया जाता है। शैक्षिक संस्थानों में भी कुशल नेतृत्व के मार्गदर्शन में अभिभावकों के साथ संबंध प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। कोई भी शिक्षण संस्थान चाहें वह किसी बोर्ड या माध्यम से संचालित होता हो पर्याप्त संबंध प्रबंधन के अभाव में अपने शैक्षिक क्रियाकलापों, विभिन्न गतिविधियों, परीक्षाफल तथा भविष्य की योजनाओं के विषय में विकासशील नहीं रह पाता। आधुनिक भारत के परिदृश्य में प्रत्येक अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य के संदर्भ में अत्यंत जागरूक हो गया है। अत: कुशल संबंध प्रबंधन के द्वारा शिक्षण संस्थान उसे पूर्ण जानकारी तथा भविष्य के प्रति सकारात्मक ²ष्टिकोण प्रदान कर सकता है। इसी तरह औद्योगिक संस्थानों में भी व्यापक संबंध प्रबंधन के माध्यम से अनेकों कठिनाईयों से बचने के साथ साथ विकास उन्मुख कार्यकलाप उत्पन्न किये जा सकते है। संबंध प्रबंधन से क्रियाशील और विश्लेषणात्मक आंकड़े संयोजित किये जाते है। चयनित मापदंडों के अनुसार किसी ग्राहक या अभिभावक से मंत्रणा की जाती है। इस प्रकिया में विभिन्न माध्यमों जैसे ई-मेल, टेलीफोन, एसएमएस, डाक का प्रयोग करते हुए ग्राहकों या अभिभावकों को भविष्य की योजनाओं के प्रति अवगत कराया जाता है। संबंध प्रबंधन में सहयोग पूर्ण व्यवहार अत्यंत आवश्यक होता है। किसी भी संस्थान में उपलब्ध प्रबंधन व्यवस्था, तकनीकी सहायता तथा जानकारी को साझा करना संबंध प्रबंधन को और मजबूत करता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत संस्थान में उपलब्ध जानकारियों को व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से आदान प्रदान करना आवश्यक होता है। इसी क्रम में विभिन्न शिक्षण संस्थान वार्षिक कैलेंडर प्रकाशित करके या अपनी बेवसाइट पर उपयोगी सूचनाएं अभिभावकों तक पहुंचाते है। वर्तमान परिदृश्य में सोशल मीडिया भी संबंध प्रबंधन को गतिशील बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संस्थान फेसबुक, व्हाट्सएप व ट्विटर के उपयोग से ग्राहकों, अभिभावकों को समय समय पर नित नई जानकारी योजनाएं, सूचनाएं तथा समाचार पत्रों को व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से लेखन या तस्वीरों के माध्यम से संचालित करते रहते हैं। एक बेहतर संबंध प्रबंधन के लिए समय समय पर प्रशिक्षण एवं विश्लेषणात्मक निर्देशन भी आवश्यक है। आधुनिक समय में नित नवीन साफ्टवेयर के माध्यम से प्रबंधन को अत्यंत उपयोगी बनाया जा सकता है। इसी क्रम में सीआरएम सॉफ्टवेयर विभिन्न संस्थानों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस सॉफ्टवेयर के उपयोग से सामाजिक आवश्यकताओं, विद्यार्थियों की रोजगारउन्मुख योजनाओं तथा भविष्य की योजनाओं का पर्याप्त डाटा बैंक होता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संबंध प्रबंधन के विभिन्न आयामों को शैक्षिक विषय के रुप में मान्यता देने लगें हैं। इसलिए संबंध प्रबंधन भारतीय समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण बन चुका है।
----शेखर अवस्थी, प्रधानाचार्य, रूट्स इंटरनेशनल स्कूल नूरपुर।