किसी मिसाल से कम नहीं है पुरैनी दुर्वेशपुर का तालाब
प्रशासनिक उपेक्षा और कागजों में ही सौंदर्यीकरण एवं देखभाल होने के चलते विलुप्त हो रहे तालाब जलस्तर गिरने का कारण बन रहे हैं। गत वित्तीय वर्ष में लाखों रुपये जल संचय की मंशा से खर्च किए गए लेकिन तालाबों को पानी से नहीं भरा जा सका। वहीं नूरपुर क्षेत्र के गांव पुरैनी दुर्वेशपुर के तालाब को गांव के ही एक व्यक्ति ने पानी से लबालब कर दिया है। तालाब जल संचयन के लिए मिसाल बन गया है।
बिजनौर, जेएनएन। प्रशासनिक उपेक्षा और कागजों में ही सौंदर्यीकरण एवं देखभाल होने के चलते विलुप्त हो रहे तालाब जलस्तर गिरने का कारण बन रहे हैं। गत वित्तीय वर्ष में लाखों रुपये जल संचय की मंशा से खर्च किए गए लेकिन तालाबों को पानी से नहीं भरा जा सका। वहीं, नूरपुर क्षेत्र के गांव पुरैनी दुर्वेशपुर के तालाब को गांव के ही एक व्यक्ति ने पानी से लबालब कर दिया है। तालाब जल संचयन के लिए मिसाल बन गया है।
लगातार गिरते भूगर्भ जलस्तर को रोकने और जल सहेजने में मत्स्य पालन की योजना भी लाभकारी साबित हो रही है। ब्लाक की गांव पंचायत पुरैनी दुर्वेशपुर निवासी शमशुद्दीन ने दो साल पहले गन्ने की फसल से किनारा कर अपनी साढ़े ग्यारह बीघा जमीन पर तालाब की खुदाई कराई। उसके बाद अपने स्तर से ही तालाब में जल संचयन कराया। जिसके बाद वहां मछली पालन का कार्य शुरू किया। इसके पीछे उनकी मंशा व्यापार के साथ-साथ तालाब में जलसंचय कर गिरते भूगर्भ जलस्तर को सुधारने की रही। गांव में बना यह तालाब मिसाल से कम नहीं है। यदि इसी राह पर चलकर तालाबों का सौंदर्यीकरण हो जाए तो भूगर्भ जलस्तर अपने आप सुधर जाएगा। साथ ही तालाबों को संजीवनी भी मिल जाएगी। वहीं, तालाब में मछली पालन से अच्छी आमदनी भी हो जाती है। इस कार्य के लिए उन्हें विश्व मत्स्य दिवस पर जिलाधिकारी द्वारा दो बार सम्मानित किया जा चुका है। उनकी प्रेरणा से गांव के ही प्रदीप कुमार ने दस बीघा में जमीन में तालाब बनवाकर उसमें जल संचयन करने के साथ-साथ मछली पालन शुरू किया है।