दीपक मेकिग में तनु और स्लोगन में पूजा ने बाजी मारी
जेएनएन बिजनौर। नार्थ इंडिया कालेज आफ हायर एजुकेशन की ओर से दीपावली महोत्सव पर दीपक मेि
जेएनएन, बिजनौर। नार्थ इंडिया कालेज आफ हायर एजुकेशन की ओर से दीपावली महोत्सव पर दीपक मेकिग प्रतियोगिता और महिला सशक्तिकरण विषय पर स्लोगन प्रतियोगिता आयोजित की गई। दीपक मेकिग में तनु और स्लोगन में पूजा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
नार्थ इंडिया कालेज आफ हायर एजुकेशन के प्रबंध निदेशक अवनीश अग्रवाल व कार्यकारी निदेशक अभिनव अग्रवाल ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि दीपावली खुशियों का पर्व है। कोविड की गाइडलाइन का पालन करते हुए त्योहार को मनाएं। दीपक प्रज्ज्वलित करें, ताकि चारों ओर प्रकाश हो लेकिन पर्यावरण को प्रदूषण होने से बचाने के लिए पटाखे नहीं जलाने का संकल्प भी लें। प्राचार्या डा. नीलावती, डा. नवनीत राजपूत निर्देशन में दीपा सिंह व डा. रामकिशोर की देखरेख में दीपावली महोत्सव पर दीपक मेकिग प्रतियोगिता और महिला सशक्तिकरण विषय स्लोगन प्रतियोगिता में छात्राओं ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया। दीपक मेकिग में तनु ने प्रथम, पूजा ने द्वितीय व मनीषा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। स्लोगन प्रतियोगिता में पूजा ने प्रथम, दिग्विजय ने द्वितीय व हिमानी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। ..पड़ोसी का दीपक भी साथी जला दो
जेएनएन, बिजनौर। युग हस्ताक्षर साहित्यिक संस्था की ओर से दीपावली महोत्सव पर काव्यगोष्ठी आयोजित हुई। कवियों और साहित्यकारों ने अपनी रचनाएं पेश कर खूब वाहवाही लूटी।युग हस्ताक्षर साहित्यिक संस्था की ओर से अशोक अग्रवाल के आवास पर मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर मनोज त्यागी की सरस्वती वंदना के साथ काव्य गोष्ठी का शुभारंभ हुआ। भगीरथ सिंह ने कि प्रेम में मरना प्रेम में जीना जीवन यही महान है, प्रेम ही भक्ति प्रेम ही शक्ति प्रेम ही तो भगवान है। मनोज त्यागी ने कहा कि तुम्हारे दिये की उम्र सौ गुनी हो, पड़ोसी का दीपक भी साथी जला दो। निशा अग्रवाल ने कहा कि माटी का नन्हा दीपक भी अंधकार से लड़ सकता है, घोर निराशा के तम में भी वह प्रकाश को पढ़ सकता है। राजेंद्र त्यागी ने कहा कि दीप ऐसे जलाओ मेरे दोस्तों, जो पड़ोसी के घर का अंधेरा भगे। सत्येंद्र गुप्ता ने कहा कि मैंने जन्नत का एक शहर देखा है, मैंने मां के दिल का नगर देखा है। जितेंद्र कक्कड़ ने कहा कि दर्द जमाने का सह लेते तो सफर कैसा होता, हम तो पी लेते मगर आशियाने का क्या होता। निशा अग्रवाल के संचालन में आयोजित काव्यगोष्ठी में इंदु गुप्ता, पूनम अग्रवाल, कुलबीर कौर आदि उपस्थित रहे।