अस्तित्व खो रहा बाबा हठीनाथ मंदिर का तालाब
जलीलपुर क्षेत्र में प्राचीन काल में पूर्वज जल संरक्षण के लिए तालाब ताल-तलैया व पानी के लिए कुओं का निर्माण कराते थे लेकिन अब तालाब अपना अस्तित्व खोते नजर आ रहे हैं। ग्राम कुतुबपुर गांवड़ी में हठीनाथ मंदिर परिसर स्थित महाभारत कालीन तालाब इसका प्रमाण है। यह तालाब प्रशासन की उपेक्षा का शिकार रहा है। तालाब के जीर्णोद्धार पर ध्यान नहीं दिया गया।
बिजनौर, जेएनएन। जलीलपुर क्षेत्र में प्राचीन काल में पूर्वज जल संरक्षण के लिए तालाब, ताल-तलैया व पानी के लिए कुओं का निर्माण कराते थे, लेकिन अब तालाब अपना अस्तित्व खोते नजर आ रहे हैं। ग्राम कुतुबपुर गांवड़ी में हठीनाथ मंदिर परिसर स्थित महाभारत कालीन तालाब इसका प्रमाण है। यह तालाब प्रशासन की उपेक्षा का शिकार रहा है। तालाब के जीर्णोद्धार पर ध्यान नहीं दिया गया।
इतिहास के पन्नों को यदि पलटा जाए तो प्राचीनकाल में तालाबों का एक विशेष महत्व था। ग्रामीण भी मिलकर जल संचय करने के लिए तालाबों का निर्माण कराया करते थे। तालाबों को गांव के निकट खुदवाया जाता था, ताकि वर्षा का पानी संचयन हो सके। मौजूदा हाल में तालाबों पर संकट आ गया है। गांव कुतुबपुर गांवड़ी स्थित हठी नाथ मंदिर परिसर में महाभारत काल में बाबा हाथी नाथ द्वारा बनवाया गया तालाब आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है और इसका रकबा लगातार घटता जा रहा है। गंदगी के कारण तालाब में झाड़ियां खड़ी हैं। कभी साफ रहने वाला पानी आज गंदा हो चुका है। यदि प्रशासन तालाबों पर ध्यान दें तो यह तालाब मिसाल बन सकता है। ग्रामीणों की मानें तो उक्त तालाब का बड़े क्षेत्र में फैला हुआ करता था, इसमें पानी भरा रहने के साथ-साथ पशु-पक्षी दिन व रात्रि के समय पानी पीकर प्यास बुझाते थे। मंदिर परिसर में बने इस तालाब की ग्रामीणों में अलग ही मान्यता मानी जाती है। यह भी बताया जाता है कि इस तालाब का पानी कभी नहीं सूखा, लेकिन अब यहां सूखा नजर आता है। समय रहते तालाब पर ध्यान नहीं दिया गया तो बिन पानी इस तालाब अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।