घर वापसी से बचना है, तो करें कोरोना गाइड लाइन का पालन
जेएनएन बिजनौर पिछले साल लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों की वापसी का दौर कई दिन तक
जेएनएन, बिजनौर: पिछले साल लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों की वापसी का दौर कई दिन तक चला। जिले की सीमाओं से कामगारों का साइकिलों एवं पैदल ही पूर्वाचंल में स्थित अपने घरों की ओर कूच करने का सिलसिला बना रहा है। वक्त ने एक साल बाद पलटा खाया और इन कामगारों में से अधिकांश अपने-अपने काम पर वापस लौट गए। चिकित्सकों की माने, तो यदि काम से वापसी से बचना है, तो कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है।
पिछले लाकडाउन के दौरान पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, गुजरात समेत कई अन्य राज्यों से बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा समेत पूर्वांचल के कामगारों की साइकिलों से वापसी का सिलसिला शुरू हो गया था। चंडीगढ़ से साइकिल द्वारा गोरखपुर और आजमगढ़ के लिए साइकिल से निकले 36 मजदूरों कर जत्थे ने बिजनौर में विश्राम किया था। उस वक्त जत्थे में शामिल गुलाम अली, इदरीश आदि का कहना था कि लॉकडाउन घोषित होने के बाद जब तीन दिन तक उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिला और मजदूरी भी बंद हो गई थी, तो वह साइकिलों से अपने-अपने घरों की ओर चल दिए थे। वहीं सड़के सुनसान रही और लोग स्वयं की मर्जी से अपने-अपने घरों में कैद रहे, कितु पुलिस ने बिना वजह सड़कों पर कोरोना नियमों का उल्लंघन करने पालन करने वालों को सबक सिखाने का काम किया था।
वक्त ने एक साल बाद पलटा खाया कि लाकडाउन में घर वापस लौटे कामगार संक्रमण की गति होने के बाद वह अपने-अपने काम पर वापस लौट गए। सड़कों, बाजारों, शापिग माल, सिनेमा हालों में लोगों की जबरदस्त भीड़ हुई। साप्ताहिक पीठ में लोगों की भीड़ बढ़ी है। लोगों में कोरोना का डर कम हुआ है, इसलिए अधिकांश लोग कोरोना की गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे। चिकित्सकों की माने, तो यदि काम से वापसी से बचना है, तो कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है।