सऊदी अरब में शेखों के घर सजेंगे दयालवाला के मूढ़े
बिजनौर, कपिल कुमार। गांव दयालवाला के मूढ़ा कारोबार को पहली बार खाड़ी देशों का बाजार मिलने जा रहा है। यहां बनने वाले मूढ़ों की खरीदारी के लिए सऊदी अरब से डिमांड आई है। पहली बार करीब 1200 मूढ़े विदेश भेजे जाएंगे। इसके साथ दूसरे देशों में भी मूढ़ा कारोबार की संभावना तलाशी जा रही हैं। यदि ऐसा होता है तो इस कारोबार से जुड़े लोगों को अपेक्षाकृत ज्यादा मुनाफा होने के साथ अन्य देशों में भी इस कला की पहचान कायम होगी।
खादर क्षेत्र मंडावर के गांव दयालवाला में दशकों से मूढ़ा बनाने का कारोबार होता आ रहा है। लगभग 150 परिवार इस काम से जुड़े हैं। पहले यहां का मूढ़ा कारोबार जिले तक ही सिमटा था। कुछ वर्षों से ये मूढ़े दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड और हरियाणा में भी बिकने लगे हैं। माल बाहर तो जा रहा है, लेकिन इसमें ट्रांसपोर्ट का खर्च ग्रामीणों को वहन करना पड़ता है। दूसरे राज्यों में बहुत ज्यादा कीमत भी नहीं मिल पाती थी। खेती के उत्पादों का निर्यात करने वाली कंपनी हेल्थ मिस्ट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर मो. शोएब ने दयालवाला में बने मूढ़ों के सैंपल सऊदी अरब भेजे थे। वहां के लोगों को ये मूढ़े बहुत पसंद आए तो शुरुआत में ही 1200 मूढ़ों का आर्डर मिल गया। यह माल जल्द भेजा जाएगा। इसके बाद दूसरी खेप में मूढे सऊदी अरब भेजे जाएंगे।
गंगा खादर में पर्याप्त है कच्चा माल
मूढ़े बींड और सरवा आदि से तैयार किए जाते हैं। गंगा खादर क्षेत्र में इस कच्चे माल की प्रचुरता है। कितना ही आर्डर मिल जाए, यहां माल तैयार होता रहेगा। समय के साथ गांव वालों ने मूढ़ा कारोबार को निखारा है। इसे अच्छे लुक के साथ बनाया जा रहा है। मूढ़े के साथ-साथ बींड से मेज भी बनाई जा रही हैं। इनकी कीमत 400 से 600 रुपये प्रति पीस तक रहती है।
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पहली बार मूढ़ों के लिए विदेश से आर्डर मिला है। जल्द ही माल भेज दिया जाएगा। कुछ अन्य देशों के व्यापारियों से भी संपर्क किया जाएगा।
-मो. शोएब, निर्यातक
ग्रामीणों के उत्पादों को अच्छा बाजार दिलाने की कोशिश जारी है। आम और तेल के बाद अब मूढ़े को भी विदेश में बाजार मिलना बड़ी उपलब्धि है।
-गिरीश चंद्र, उप निदेशक, कृषि