दिनचर्या में बदलाव से दी कोरोना को मात
जेएनएन बिजनौर। कोरोना को लेकर एक समय ऐसा रहा है जब इसके नाम से ही डर लगता था। लोग घ्
जेएनएन, बिजनौर। कोरोना को लेकर एक समय ऐसा रहा है, जब इसके नाम से ही डर लगता था। लोग घरों से नहीं निकले और पूरी सावधानी भी बरती, लेकिन कई लोग संक्रमित हो गए। मोहल्ला सरायरफी निवासी 50 वर्षीय व्यक्ति भी कोरोना से पीड़ित रहे, लेकिन उन्होंने कोरोना को न केवल मात दी बल्कि जीवन जीने की कला भी सीख ली। ऐसा समय गुजारा, जिसने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बना दिया। वह लोगों से सजग रहने का आह्वान कर रहे हैं।
मोहल्ला सरायरफी निवासी प्राइवेट कंपनी में कार्य करते हैं। लाकडाउन खत्म होने के बाद काम काज पटरी पर लौटा तो वह भी काम में व्यस्त हो गई। इस दौरान कुछ लापरवाही बरती गई, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। पहले जुकाम तो बाद में कुछ परेशानियां बढ़ गई। जांच कराई तो वह संक्रमित निकले। रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद उनके होश उड़ गए। उन्हें कोविड अस्पताल ले जाया गया, जहां जरूरी दवाइयों के साथ-साथ पाबंदी में रहे। दो-चार दिनों अकेले में रहने के बाद वह परेशान रहे, लेकिन कोरोना को मात देने के लिए उन्होंने खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लिया। जिसके बाद वह लगातार गर्म पानी और जरूरी दवाइयों को सेवन करते रहे। सेहत में सुधार होने पर योग और व्यायाम शुरू कर दिया। जिससे शरीर को ताजगी के साथ-साथ अलग ही अनुभूति हुई। चंद दिनों बाद ही वह कोरोना को मात देकर घर लौट आए। उसके बाद तो जिदगी में काफी परिवर्तन आ गए। जिसमें ठंडे पानी का सेवन बंद कर गर्म पानी व काढ़े को दिनचर्या में शामिल कर लिया। सुबह शाम व्यायाम और योग के लिए अवश्य समय निकालना शुरू कर दिया। जिसके बाद से वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। वहीं, उनका कहना है कि सरकारी गाइडलाइन का पालन अति आवश्यक है। मास्क और सैनिटाइजर तो अभी बहुत जरूरी है। जागरूकता के साथ-साथ मानसिक मजबूती बहुत जरूरी है।