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छह घंटे बंद रहा मेरठ-पौडी हाईवे, ट्रकों की लगी लाइन

मेरठ-पौड़ी नेशनल हाईवे 119 छह घंटे के लिए पूरी तरह से बंद रहा। हाईवे से गुजरने वाले वाहनों को डायवर्ट किया गया था। हालांकि तमाम ट्रक डायवर्जन की लंबी दूरी तय करने के बजाए सड़क किनारे खड़े हो गए जबकि बसें या दूसरे वाहन चांदपुर गजरौला होते हुए मेरठ या मुजफ्फरनगर की तरफ आए और गए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 06:21 PM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 06:21 PM (IST)
छह घंटे बंद रहा मेरठ-पौडी हाईवे, ट्रकों की लगी लाइन
छह घंटे बंद रहा मेरठ-पौडी हाईवे, ट्रकों की लगी लाइन

बिजनौर, जेएनएन। मेरठ-पौड़ी नेशनल हाईवे 119 छह घंटे के लिए पूरी तरह से बंद रहा। हाईवे से गुजरने वाले वाहनों को डायवर्ट किया गया था। हालांकि तमाम ट्रक डायवर्जन की लंबी दूरी तय करने के बजाए सड़क किनारे खड़े हो गए, जबकि बसें या दूसरे वाहन चांदपुर गजरौला होते हुए मेरठ या मुजफ्फरनगर की तरफ आए और गए। दरअसल, जानसठ से बिजनौर बैराज तक मैराथन दौड़ के चलते 11 बजे तक के लिए हाइवे बंद रखा गया।

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बुधवार सुबह पांच बजे ही पुलिस ने ट्रैफिक को डायवर्ट करना शुरू कर दिया था। बिजनौर की तरफ से मेरठ या मुजफ्फरनगर की तरफ जाने वाले वाहनों को आगे नहीं बढ़ने दिया गया। इन्हें पुलिस कर्मियों ने चांदपुर और गजरौला से होते हुए निकलने की सलाह दी। पुलिस ने बैरिकेडिग करते हुए मार्ग को बंद कर दिया था। हालांकि कुछ ट्रक पांच बजे से पहले जो आगे बढ़ गए थे, उन्हें भी बैराज से पहले ही रोक कर सड़क किनारे लगवा दिया गया। तमाम ट्रक जो कि डायवर्जन की लंबी दूरी तय नहीं करना चाहते थे, उन्होंने सड़क किनारे खड़े कर लिए और सड़क के खुलने का इंतजार करने लगे। मुजफ्फरनगर के कस्बा जानसठ में बुधवार को मैराथन दौड़ के आयोजन के चलते रास्ता बंद हुआ। जिसके चलते सवेरे पांच बजे से दोपहर 11 बजे तक वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी गई थी। बताते चलें कि मेरठ-पौड़ी नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक का दबाव ज्यादा रहता है। मैराथन के लिए सड़क को खाली रखने के लिहाज से वाहनों को बंद रखने का निर्णय लिया गया गया था। 11 बजे के बाद ट्रैफिक चालू हो सका। यात्रा में लगा ज्यादा वक्त

मेरठ या मुजफ्फरनगर आने-जाने वाले लोगों की यात्रा में डायवर्जन के चलते ज्यादा वक्त लगा, क्योंकि नजीबाबाद या बिजनौर से जाने वाले यात्रियों की बसें गजरौला के रास्ते होकर गढ़ से निकलते हुए मेरठ तक पहुंची। दूरी के साथ-साथ किराया भी ज्यादा देना पड़ा। केवल जरुरी काम वाले ही डायवर्ट होकर जा रही बसों में सवार हुए। जिन्हें जल्दी नहीं थी, उन लोगों ने सड़क खुलने के बाद ही यात्रा करना बेहतर समझा।

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