अस्पताल में कम, होम आइसोलेट अधिक हो रहे कोरोना संक्रमित
कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले भर में एक मात्र एल्-2 अस्पताल में वर्तमान 209 सक्रिय रोगियों में से में सात ही अस्पताल में भर्ती है जबकि शेष 202 रोगी घर पर ही आइसोलेट है। घर पर ही आइसोलेट मरीजों को दवा देने के उपरांत नित्य फोन पर उनका हाल जाना जाता है।
जेएनएन, बिजनौर। कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले भर में एक मात्र एल्-2 अस्पताल में वर्तमान 209 सक्रिय रोगियों में से में सात ही अस्पताल में भर्ती है, जबकि शेष 202 रोगी घर पर ही आइसोलेट है। घर पर ही आइसोलेट मरीजों को दवा देने के उपरांत नित्य फोन पर उनका हाल जाना जाता है। आवश्यकता पड़ने पर मरीज खुद अपनी निकट की पीएचसी अथवा कंट्रोल रूम में फोन का अपना हाल बता सकता है।
कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में हल्दौर स्थित पीएचसी को एल-1 अस्पताल बनाया गया था। इसके बाद ग्राम स्वाहेड़ी में बने लेखपाल ट्रेनिग सेंटर को एल-1 अस्पताल में तब्दील किया गया। इतन ही नहीं जिला महिला अस्पताल के पुराने भवन में 100 बैड का एल-2 अस्पताल भी बनाया गया। मरीजों की संख्या में कमी होने के कारण पहले हल्दौर और फिर स्वाहेड़ी का एल-1 अस्पताल बंद कर दिया गया। अब केवल जिला महिला अस्पताल के पुराने भवन में एल-2 का अस्पताल चलाया जा रहा है। एल-2 अस्पताल के प्रभारी जिला अस्पताल के सीएमस डा. ज्ञान चंद बताते है कि अस्पताल में केवल गंभीर रोगियों को ही भर्ती किया जा रहा है। वर्तमान में अस्पताल में केवल सात रोगी ही भर्ती है, जबकि 202 रोगियों को घर पर ही आइसोलेट किया गया है। शासन की गाइड लाइन के अनुसार मरीजों को भोजन एवं दवाएं भी दी जाती है।
प्रतिदिन ली जाती है जानकारी
डा. ज्ञानचंद बताते है कि होम आइसोलेट मरीजों से प्रतिदिन उनके स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी ली जाती है। आवश्यकता पड़ने पर मरीज निकट की पीएचसी अथवा सीएमओ आफिस में कंट्रोल रूम में फोन कर सकता है।
मरीज को डिसचार्ज से पूर्व की जाती है जांच
उन्होंने बताया कि जो मरीज अस्पताल में भर्ती है, उनके ठीक होने पर जांच की जाती है। जांच में निगेटिव पाये जाने पर ही उसे डिसचार्ज किया जाता है। जबकि होम आइसोलेट मरीजों को ठीक होने के दस दिन बाद भी कोई कोरोना का लक्षण नहीं है तो वह स्वस्थ होता है, फिर भी मरीज अपनी तसल्ली के लिए जांच कराता ही है। मरीज यदि किसी पुरानी गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो उसे अस्पताल में भर्ती किया जाता है। ऐसे मरीज को घर पर आइसोलेट नहीं होना चाहिए एवं बार दिन में कम से कम दो बार बुखार एवं आक्सीजन लेबल की जांच अवश्य करें।
क्या खाएं
उन्होंने बताया कि मरीजों को चाहिए कि वह प्रतिदिन विटामिन सी और ई का प्रयोग करें। गुनगुना पानी एवं ताजा गर्म खाना खाए। अंडा, नीबू, आंवला, मौसमी फल, सूखे मेवे, कम से कम प्रतिदिन क अंडे का सेवन भी लाभदायक रहता है। प्रतिदिन सुबह की गुनगुनी धूप भी लाभदायक होती है।