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ढिलाई बरतना मतलब खुद को मुश्किल में डालना

कोरोना काल में लोग जागरूक हुए हैं तो बड़ी संख्या में शासन के निर्देशों में ढिलाई भी बरत रहे हैं। ढिलाई बरतने का सीधा अर्थ न सिर्फ खुद को बल्कि अपने परिवार के सदस्यों को मुश्किल में डालना है। त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में धनतेरस दीपावली व छठ जैसे पर्व होने के कारण बाजार में बढ़ती भीड़ भी कोरोना संक्रमण की चिगारी को हवा देने का काम कर सकती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 06:05 PM (IST)Updated: Tue, 10 Nov 2020 06:05 PM (IST)
ढिलाई बरतना मतलब खुद को मुश्किल में डालना
ढिलाई बरतना मतलब खुद को मुश्किल में डालना

बिजनौर, जेएनएन। कोरोना काल में लोग जागरूक हुए हैं तो बड़ी संख्या में शासन के निर्देशों में ढिलाई भी बरत रहे हैं। ढिलाई बरतने का सीधा अर्थ न सिर्फ खुद को बल्कि अपने परिवार के सदस्यों को मुश्किल में डालना है। त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में धनतेरस, दीपावली व छठ जैसे पर्व होने के कारण बाजार में बढ़ती भीड़ भी कोरोना संक्रमण की चिगारी को हवा देने का काम कर सकती है।

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कोरोना संक्रमण के मरीज लगातार मिल रहे हैं। पिछले करीब दो माह की अवधि में सोमवार को सर्वाधिक 44 रोगी मिले। इसका अर्थ सीधा है कि यदि कुछ लोग शासन के निर्देशों का पालन कर रहे हैं तो बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो पूरी तरह से लापरवाही बरत रहे हैं। वह न तो मास्क लगाते हैं और न ही शारीरिक दूरी का ही पालन करते हैं। बार-बार साबुन अथवा सैनिटाइजर से हाथ साफ करने को वह झंझट समझते हैं। यही लापरवाही खुद उनके लिए ही नहीं उनके परिवार के लिए भी घातक साबित होती है। जिला अस्पताल के सीएमएस डा. ज्ञानचंद का कहना है कि मास्क की महत्ता को समझना बहुत ही जरूरी हो गया है।

इसकी प्रमुख वजह कोरोना संक्रमण, टीबी और निमोनिया, खांसने व छींकने से निकलने वाली बूंदों के जरिए एक-दूसरे को प्रभावित करती है। वायु प्रदूषण का असर फेफड़ों पर ही नहीं वरन शरीर के अन्य हिस्सों पर भी पड़ता है। कम तापमान व स्मॉग के चलते धूल के कण ऊपर नहीं जा पाते और नीचे ही वायरस व बैक्टीरिया के संवाहक का कार्य करते हैं, ऐसे में यदि बिना मास्क लगाए बाहर निकलते हैं तो वह सांसों के जरिये शरीर में प्रवेश करने का मौका पा जाते हैं।

वायु प्रदूषण में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 माइक्रान यानि बहुत ही महीन धूल कण ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। वह सांस मार्ग से फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं, जबकि 10 माइक्रान तक वाले धूल कण गले तक ही रह जाते हैं, जो गले में खराश और बलगम पैदा करते हैं। त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में धनतेरस, दीपावली व छठ जैसे पर्व होने के कारण बाजार में बढ़ती भीड़ भी कोरोना संक्रमण को बढ़ा सकती है, इसलिए लोगों को चाहिए कि वह घर से बाहर निकलते समय अवश्य मास्क पहनें, लोगों से मिलते समय कम से कम दो गज की दूरी का पालन करें। साथ ही नियमित अंतराल पर साबुन अथवा सैनिटाइजर से हाथ साफ करते रहें।


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