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किसान विरोधी कानून का मुद्दा छाया रहा

जेएनएन बिजनौर। गांव बरूकी में भाकियू भानु के कार्यालय पर हुई बैठक में किसान विरोधी कानू

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 06:40 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 06:40 PM (IST)
किसान विरोधी कानून का मुद्दा छाया रहा
किसान विरोधी कानून का मुद्दा छाया रहा

जेएनएन, बिजनौर। गांव बरूकी में भाकियू भानु के कार्यालय पर हुई बैठक में किसान विरोधी कानून को वापस लेने का मुद्दा छाया रहा। क्षेत्र के गांव बरूकी में गुरुवार को भाकियू भानु के कार्यालय पर किसानों की बैठक हुई, जिसमें यूनियन के जिला प्रभारी नरेश पूर्व प्रधान ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के विरोध में कार्य कर रही है। किसानों को धान का उचित मूल्य नहीं मिला। किसानों के गेहूं के दाम लागत से भी कम मिल रहे हैं। गन्ने का भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा है। सरकार नए-नए अधिनियम किसानों पर जबरदस्ती लाद रही है। कार्यकर्ताओं ने किसान विरोधी अधिनियम को शीघ्र वापस लिए जाने तथा गन्ने का रेट 500 रुपये प्रति कुंतल किए जाने की मांग की है। नरेश पूर्व प्रधान की अध्यक्षता व विकास कुमार के संचालन में आयोजित बैठक में क्षेत्र के किसान मौजूद थे। मानवता और नैतिकता का दिया संदेश

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जेएनएन, बिजनौर। धम्म सबका एक है और जीवन जीने की कला भी एक है। बौद्ध धम्म ने समाज को मानवता और नैतिकता का संदेश दिया है। देश की एकता अखंडता व शांति के लिए बौद्ध धम्म सभी धर्मों के साथ मिलकर चला है।

बुद्ध विहार नांदकार में अखिल भारतीय भिक्षु महासंघ की ओर से धम्म दीक्षा समारोह में यह बात राष्ट्रीय लेखाकार निरीक्षक भिक्षु मुक्तानंद ने कही। उन्होंने कहा कि देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। कोरोना से लड़ने के लिए नागरिकों को सरकार द्वारा जारी कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का पालन गंभीरता से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बौद्ध धम्म की शुरुआत सबसे पहले भारत से हुई। बौद्ध धम्म सबको साथ लेकर शांतिपूर्वक जीवन जीने की शिक्षा देता है। हिसा का बौद्ध धम्म में कोई स्थान नहीं है। भगवान बुद्ध ने लोगों के कष्ट दूर करने के लिए बौद्ध धम्म की स्थापना की। उन्होंने नागरिकों को देश की एकता अखंडता व शांति बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास की सलाह दी। इस अवसर पर नरेंद्र कुमार, आरके सागर, राकेश भारती, प्रमोद कुमार, अक्षयदीप, शौनाथ सिंह, जयप्रकाश आदि मौजूद रहे।


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