अनलॉक में धान की फसल की तैयारी में जुटे किसान
कोरोना संक्रमण के चलते इस बार लॉकडाउन में किसानों के सामने कई समस्याएं उत्पन्न हो गई। अब अनलॉक में बाजार आदि खुलने से किसान अगली फसल के लिए तैयारियों में जुटे हैं
बिजनौर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार लॉकडाउन में किसानों के सामने कई समस्याएं उत्पन्न हो गई। अब अनलॉक में बाजार आदि खुलने से किसान अगली फसल के लिए तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन कम वर्षा और डीजल के बढ़े दामों ने किसानों की समस्या और बढ़ा दी है। वहीं, किसान बकाया गन्ना भुगतान और यूरिया की कमी से भी जूझ रहे हैं।
इस बार मौसम अन्नदाताओं पर मेहरबान नहीं दिख रहा है। लॉकडाउन के कारण समस्या झेल रहे किसान बार-बार मौसम की मार से भी त्रस्त हैं। पहले बेमौसम बारिश ने अन्नदाता का पूरा गणित बिगाड़ दिया। शुगर मिल बंद होने के बाद अब किसान अपनी गन्ने की अगली फसल के साथ मुख्य रूप से धान की रोपाई में व्यस्त हैं, लेकिन जुलाई आधा बीतने को है और अभी तक अपेक्षा के अनुसार क्षेत्र में कम बारिश हुई है। जिसके चलते धान की रोपाई और अन्य फसलों में भी परेशानी हो रही है। किसान अब्दुल मलिक और हरिराज सिंह का कहना है कि कई ऐसे स्थान हैं जहां गांव के पास नहरों की व्यवस्था नहीं है। जहां हैं, वहां नहरों में कम बारिश के कारण पानी भी कम आ रहा है। वहीं, देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि डीजल के दाम पेट्रोल से ऊंचे पहुंच रहे हैं। ऐसे में किसानों को धान और अन्य की सिचाई के लिए पंप चलाकर महंगा डीजल खर्च करना पड़ रहा है।
कम खाद व भुगतान भी समस्या :
सहकारी समितियों से पर्याप्त मात्रा में यूरिया खाद न मिलने से परेशानी पढ़ रही है। कुछ किसानों को निजी तौर पर बाजारों से खाद लेनी पड़ रही है। वहीं, हरेवली क्षेत्र में किसानों को खाद के साथ हजारों रुपये की कीटनाशक दवाई भी जबरन दी जा रही हैं। शुगर मिल बंद होने के बाद किसानों को गन्ना भुगतान नहीं किया गया है।
कामगारों की कमी हुई दूर :
लॉक डाउन के दौरान बाहरी राज्यों और अधिकांश स्थानों से कामगार अपने गांवों को लौटे हैं। जिस कारण अब वे अपनी रोजी-रोटी की तलाश गांव और उसके आसपास ही कर रहे हैं। ऐसे में इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में कामगारों की कमी की समस्या का समाधान हुआ है। अब किसानों को कार्य कराने के लिए आसानी से कामगार मिल रहे हैं।