Move to Jagran APP

कच्चे माल के अभाव में दम तोड़ रहा हैंडीक्राफ्ट कारोबार

बिजनौरजेएनएन। देश और प्रदेश की राजनीति में हमेशा नगीना के नेताओं का दबदबा रहा है लेकिन लकड़ी का बड़ा डिपो नहीं होने की वजह से हैंडीक्राफ्ट उद्योग दम तोड़ रहा है। हालांकि यहां के लकड़ी के कारीगरों की कला देश और विदेश में मशहूर है। यहां की नक्काशी का हुनर शीशम की लकड़ी पर निखरता है। 75 प्रतिशत तक कच्चा माल शीशम की लकड़ी का होता है जबकि अन्य प्रजाति की लकड़ी भी इस्तेमाल में लाई जाती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 05:52 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 05:52 PM (IST)
कच्चे माल के अभाव में दम तोड़ रहा हैंडीक्राफ्ट कारोबार
कच्चे माल के अभाव में दम तोड़ रहा हैंडीक्राफ्ट कारोबार

कच्चे माल के अभाव में दम तोड़ रहा हैंडीक्राफ्ट कारोबार

loksabha election banner

बिजनौर,जेएनएन। देश और प्रदेश की राजनीति में हमेशा नगीना के नेताओं का दबदबा रहा है, लेकिन लकड़ी का बड़ा डिपो नहीं होने की वजह से हैंडीक्राफ्ट उद्योग दम तोड़ रहा है। हालांकि, यहां के लकड़ी के कारीगरों की कला देश और विदेश में मशहूर है। यहां की नक्काशी का हुनर शीशम की लकड़ी पर निखरता है। 75 प्रतिशत तक कच्चा माल शीशम की लकड़ी का होता है, जबकि अन्य प्रजाति की लकड़ी भी इस्तेमाल में लाई जाती है।

अत्याधुनिक मशीनों की अनुपलब्धता दूसरी बड़ी वजह है। मशीन का जुगाड़ हो भी जाए तो उसके पुर्जों के लिए दिल्ली और अमृतसर तक दौड़ लगानी पड़ती है। मजदूरी के अभाव में बड़ी संख्या में कारीगर या तो ई-रिक्शा चला रहे हैं या फिर ठेला लगाकर गुजर-बसर कर रहे हैं। कारीगरों के लिए सामाजिक सुरक्षा बीमा एवं चिकित्सा सुविधा तक नहीं है। निर्यात केंद्र नहीं होने से भी छोटे कारोबारियों के उत्पादन विश्व बाजार में चमक नहीं बिखेर पाते। सरकार और जनप्रतिनिधि काष्ठकला को लेकर कतई गंभीर नहीं हैं। 'एक जिला-एक उत्पाद' की सरकारी कोशिश भी इस सिमटते उद्योग को विस्तार नहीं दे पा रही है, क्योंकि सभी सुविधाएं अधिकारियों की टेबल का शोपीस बनकर रह गई हैं।

--------

30 से 40 करोड़ सालान आय

एक लाख से अधिक आबादी वाले नगीना शहर में हैंडीक्राफ्ट उद्योग सालाना 30 से 40 करोड़ रुपये की मुद्रा प्राप्त होती है। कारीगर मशीनों से आबनूस, शीशम, जामुन, यूकेलिप्टिस, आम की लकड़ी से दरवाजों के हैंडल, ज्वैलरी बॉक्स, टॉय, बॉक्स, सिगारदान, गले की चेन, चाबी के गुच्छे, लकड़ी की छड़ी, सुंदर-सुंदर गुड़ियां, लकड़ी की चम्मच आदि सामान तैयार किया जाता है। नगीना में तैयार माल को देश के महानगरों के अलावा चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, इंग्लैंड, सिगापुर, जर्मन, अमरीका, इटली, यूरोप, अफ्रीका को सप्लाई किया जाता है। सामान का बेहद उच्च क्वालिटी का होने पर छह से अधिक हैंडीक्राफ्ट स्वामियों को विभिन्न स्थानों पर हुए कार्यक्रम में सम्मानित भी किया जा चुका है। यदि सरकार क्षेत्र में लकड़ी का डिपो, 24 घंटे बिजली, कारीगरों के लिए मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराए तो विदेशी मुद्रा का भंडार और अधिक हो सकता है।

--------

इनका कहना है:

सरकार की 'एक जिला-एक उत्पाद' के अन्तर्गत मात्र ऋण मिल रहा है, इसमें अनुदान अंश भी शामिल है। अन्य सभी सुविधाएं टेबल पर शोपीस बनकर रह गई हैं। सामान्य सुविधा केन्द्र भी अभी तक नगीना में नहीं बन पाया है।

-इरशाद अली मुलतानी, अध्यक्ष-नगीना क्राफ्ट डवलपमेंट सोसायटी। सरकार एवं जनप्रतिनिधियों को वन विभाग की खाली पड़ी भूमि एवं सभी हाइवे के दोनों ओर खाली पड़ी सरकारी भूमि पर शीशम की पौध रोपित करानी चाहिए, ताकि भविष्य में शीशम की लकड़ी सुगमता से मिल सके।

- खुर्शीद अहमद कुरैशी, काष्ठकला कारोबारी नगीना। हैंडीक्राफ्ट कला को सिखाने से संबंधित एक स्कूल/कॉलेज होना चाहिए। क्षेत्र के स्कूलों में कक्षा पांच से आठ तक हैंडीक्राफ्ट से संबंधित शिक्षा भी दी जानी चाहिए, ताकि जो बच्चे किसी कारणवश उच्च शिक्षा प्राप्त न कर सकें तो इस हैंडीक्राफ्ट की कला के जरिए वह अपनी आजीविका प्राप्त कर सकते हैं।

- जुल्फकार आलम, कारोबारी एवं राज्य पुरस्कार विजेता नगीना। यदि नगीना में लकड़ी का एक बड़ा डिपो बन जाए और कच्चा माल उपलब्ध होने के साथ-साथ कारीगरों को मेडिकल सुविधा, बिजली सुविधा मिले तो इस कारोबार में और बेहतर काम हो सकता है। इससे विदेशी मुद्रा भी मिलेगी।

- इश्तियाक अहमद बाबू, काष्ठकला उद्यमी, नगीना।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.