बचपन को शिक्षा की लौ दिखा रहीं गुणवती
बिजनौर जेएनएन। आर्थिक तंगी से जूझते और अशिक्षा के अंधियारे में फंसे बचपन को शिक्षा के उजिय
बिजनौर, जेएनएन। आर्थिक तंगी से जूझते और अशिक्षा के अंधियारे में फंसे बचपन को शिक्षा के उजियारे की ओर ले जाने का प्रयास बहुत कम लोग कर पाते हैं। गरीब बच्चों का जीवन सुधार कर उनमें शिक्षा की अलख जगाने के प्रयास का एक उदाहरण धामपुर में भी है। बदहाल बचपन को गुणवान बनाने के लिए स्थानीय निवासी गुणवती देवी कई वर्षों से जुटी हुई हैं।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे अभिभावकों के बच्चों की पढ़ाई का खर्च खुद उठाते हुए उन्हें प्राथमिक शिक्षा की दहलीज पर मजबूती के साथ खड़ा कर जीवन में आगे बढ़ने की राह दिखा रही हैं, ऐसे बच्चों के साथ ही उनके परिवारों के लिए गुणवती अब उम्मीद की बड़ी किरण बन चुकी हैं। बिना किसी आर्थिक मदद लिए स्वयं अपने खर्च से बढ़ते कदम निशुल्क शिक्षा केंद्र का संचालन करने वाली गुणवती समाज के लिए एक उदाहरण पेश कर रही हैं। मूल रूप से नगीना क्षेत्र के गांव पुरैनी निवासी करीब 68 वर्षीय गुणवती देवी ने स्वयं हाईस्कूल की शिक्षा ली है। साल 1967 में उनकी शादी धामपुर क्षेत्र के ग्राम जैतरा निवासी प्राथमिक शिक्षक गेंदा सिंह के साथ हुई। साल 2000 में एक सड़क हादसे में गेंदा सिंह का आकस्मिक निधन हो गया। इसके बाद से ही उनके मन में अभाव के बीच गुजर-बसर कर रहे बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प बस गया। तीन साल पूर्व गांव में ही दो स्थानों पर किराए के भवन में उन्होंने निशुल्क शिक्षा केंद्र का संचालन शुरू किया। मौजूदा वक्त में उनके इन केंद्रों पर करीब 50 छात्र-छात्राएं प्राथमिक शिक्षा का ज्ञान प्राप्त कर आगे बढ़ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने गांव की ही निवासी एक शिक्षित युवतियों को भी अपने साथ जोड़ा है। रोजाना शाम को गुणवती देवी युवतियों के साथ अपने केंद्रों पर बच्चों को शिक्षित कर रही हैं। पढ़ाई के साथ ही बच्चों को निशुल्क कपड़े और फलाहार तक उनके द्वारा रोजाना दिया जा रहा है।
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परिवार भी कर रहा पूरी मदद
गुणवती देवी मौजूदा वक्त अपनी पेंशन से मिलने वाली धनराशि पर आश्रित हैं। इसके अलावा परिवार में छोटे पुत्र व पुत्रवधू जहां सरकारी शिक्षक हैं तो वहीं बड़े पुत्र मुंबई में आयकर आयुक्त व उनकी पत्नी चिकित्सक हैं। परिवार के सदस्य भी गुणवती देवी के इस कदम से बेहद उत्साहित हैं। समय-समय पर परिवार के सदस्य भी उनके इस केंद्र पर बच्चों को मदद स्वरूप शिक्षित करने के लिए अपना योगदान दे रहे हैं।
पति से मिली सेवाभाव की प्रेरणा
गुणवती देवी को जरुरतमंद छात्र-छात्राओं की मदद करने का ये जज्बा अपने पति की प्रेरणा से मिली। शिक्षक पति की असमय हुई मौत के बाद उनकी जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठाते हुए उन्होंने बालमन को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। अपनी पेंशन का अधिकांश हिस्सा वह अपनी इसी मुहिम पर खर्च कर रही हैं।