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लाखों की लागत से बना स्वास्थ्य केंद्र बना कूड़ा घर

नहटौर क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीणों की सुविधाओं के लिए शुरू किए गए स्वास्थ्य उप केंद्रों की हकीकत धरातल पर कुछ और ही है। लाखों रुपये की कीमत से बने स्वास्थ्य उप केंद्र आज लापरवाही के चलते कूड़ा घर में तब्दील हो गए हैं और अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। इसका उदाहरण ग्राम फुलसंदा में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 07:51 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 07:51 AM (IST)
लाखों की लागत से बना स्वास्थ्य केंद्र बना कूड़ा घर
लाखों की लागत से बना स्वास्थ्य केंद्र बना कूड़ा घर

जेएनएन, बिजनौर। नहटौर क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीणों की सुविधाओं के लिए शुरू किए गए स्वास्थ्य उप केंद्रों की हकीकत धरातल पर कुछ और ही है। लाखों रुपये की कीमत से बने स्वास्थ्य उप केंद्र आज लापरवाही के चलते कूड़ा घर में तब्दील हो गए हैं और अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। इसका उदाहरण ग्राम फुलसंदा में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है। आज इसकी हालत ऐसी है कि स्वास्थ्यकर्मी भी यहां रुकना पसंद नहीं करते हैं।

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गांव फुलसंदा में कुछ साल पहले ग्रामीणों की सहायता के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था। उस समय आसपास के तीन गांवों को इसका लाभ मिलता था। लाखों की कीमत से यहां भवन निर्माण किया गया था। कर्मचारी भी तैनात किए गए और ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती थीं, लेकिन अन्य स्थानों की तरह धीरे-धीरे यह भी सरकारी उपेक्षा का शिकार हो गया। आज हालत यह है कि इसके आसपास केवल गंदगी का साम्राज्य है। देखभाल के अभाव में भवन जर्जर हो चुका है और अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। घास-फूस और कूड़ा घर में बदला

यह उप स्वास्थ्य केंद्र आज ऐसा हो चुका है कि यहां ग्रामीण तो दूर स्वास्थ्यकर्मी भी आना पसंद नहीं करते हैं। इसके परिसर में ऊंची-ऊंची घास उग चुकी है, आसपास गांव वालों ने ऊपले रखने के लिए बिटोड़े बना लिए हैं। लोगों ने यहां अवैध कब्जा तक कर लिया है। यहां एक एएनएम व अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन अब वे भी यहां आना पसंद नहीं करते हैं। इस उपकेंद्र का लाभ फुलसंदा खाकम, फुलसनदा हीरा और गगदास आदि गांवों को मिलता था। लेकिन अब यहां प्राथमिक उपचार की सुविधा भी मिलना मुश्किल हो गई है। कई बार हो चुकी है मांग

समस्या के समाधान के लिए ग्रामीणों की मांग पर पूर्व के ग्राम प्रधानों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया था, लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हो सका। वर्तमान में कोई कर्मचारी न होने के कारण इस केंद्र की देखभाल नहीं हो रही है। पूर्व ग्राम प्रधान सोनू चौधरी ने बताया कि इस केंद्र से अवैध कब्जा कई बार हटा दिया गया है, लेकिन विभाग ने किसी कर्मचारी की तैनाती नहीं की है।

नहटौर में तैनात प्रतिरक्षण अधिकारी रविकांत ने बताया कि वर्तमान में उप केंद्रों की संख्या के हिसाब से यहां कर्मचारियों की संख्या काफी कम है, इसलिए यहां नियुक्ति नहीं की गई है। टीकाकरण के लिए अलग से टीम को गांव में भेजा जाता है। अधिकारियों को एएनएम की नियुक्ति कराए जाने के लिए अवगत करा दिया गया है।


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