गंगा की धारा ने खेतों में छोड़ा रेत
जेएनएन बिजनौर। हरिद्वार से लाखों क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ने और लगातार हुई वर्षा के कारण गंगा में आए उफान से किसानों के खेत गंगा में समा गए थे। खेतों से पानी तो उतर गया लेकिन खेत अब रेत से भरे नजर आ रहे हैं। आर्थिक क्षति होने के साथ ही खादर के कई किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट हो गया है। किसानों ने जिला प्रशासन से मुआवजे की मांग की है।
जेएनएन, बिजनौर। हरिद्वार से लाखों क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ने और लगातार हुई वर्षा के कारण गंगा में आए उफान से किसानों के खेत गंगा में समा गए थे। खेतों से पानी तो उतर गया, लेकिन खेत अब रेत से भरे नजर आ रहे हैं। आर्थिक क्षति होने के साथ ही खादर के कई किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट हो गया है। किसानों ने जिला प्रशासन से मुआवजे की मांग की है।
एक पखवाड़ा पहले गंगा में उफान आने से कई किसानों के खेत गंगा में समा गए थे। खेतों से पानी उतरने पर अब किसान अपने खेतों पर पहुंचे तो कई किसानों के खेत पठार के रूप में तब्दील नजर आए। खेत में खड़ा गन्ना सात-आठ फिट तक रेत में दब गया है। महेंद्र, पप्पू, राजपाल, अय्यूब, कलवा, भूरिया कुम्हार, राजेंद्र, नीमू, वकील, नफीस आदि किसानों का कहना है कि उनके खेत की कई बीघा भूमि पठार में तब्दील हो गई है। इससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। किसानों ने बताया उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। किसानों ने कर्ज लेकर फसलें उगाई थीं। गंगा से खेतों में इतना रेत आया है कि रेत में दबी फसलें किसी भी हालत में बच नहीं पाएंगी। इतना ही नहीं अब आगे फसल की पैदावार नहीं कर सकेंगे। किसानों ने जिला प्रशासन से मुआवजे की मांग की है। गंगा की धारा कर रही कटान
नांगलसोती: खेतों के समीप गंगा कटान कर रही है। अब गंगा फसलों के समीप बह रही है। आशंका यह है कि बरसात के दिनों में खादर के कई किसानों के खेत गंगा कटान की भेंट चढ़ जाएंगे। बरसात को लेकर किसान पूरी तरह चितित हैं।