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फसल कहीं भी बेचने की आजादी से खुश हैं किसान

बिजनौर जेएनएन। कृषि विधेयक को लेकर किसानों के बीच असमंजस की स्थिति बनी है। अधिकांश किसा

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 10:35 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 10:35 PM (IST)
फसल कहीं भी बेचने की आजादी से खुश हैं किसान
फसल कहीं भी बेचने की आजादी से खुश हैं किसान

बिजनौर, जेएनएन। कृषि विधेयक को लेकर किसानों के बीच असमंजस की स्थिति बनी है। अधिकांश किसान संगठनों में कृषि विधेयक के खिलाफ बिगुल फूंक रखा है। सीमित दायरे से बाहर निकलकर किसान अपनी फसलों को स्थानीय मंडी से लेकर अन्य प्रदेशों की कृषि मंडियों में बेचने का अधिकार मिलने से खुश भी हैं। अधिकांश किसान कृषि विधेयक को किसान हित में मान रहे हैं। वहीं कुछ किसान इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।किसानों को उनकी फसल के सही दाम मिले, इसके लिए सरकार कृषि विधेयक लाई है। विधेयक के आने से किसान अपनी फसलों को उचित दाम पर जहां चाहे बेच सकता है। मंडी शुल्क और कमीशनखोरी को खत्म करने वाले कृषि विधेयक से जहां आम किसान खुश है, वहीं गैर भाजपाई संगठनों व कुछ किसान संगठनों ने विधेयक का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।

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कृषि विधेयक आने से किसान अपनी मर्जी से कहीं भी फसल बेच सकता है, उसे अधिकार है कि जहां उसे फसल के सही दाम मिलेंगे वहीं फसल बेच देंगे। इससे किसान आर्थिक रूप से सु²ढ़ बनेगा। कुछ संगठन किसानों को विधेयक के बारे में गलत जानकारी देकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं।

- विपिन जंघाला, किसान बसेड़ा।

-कृषि विधेयक आने से किसान की आय में सुधार होगा। विधेयक का विरोध करने वाले किसानों को कृषि विधेयक पहले पढ़ना चाहिए। उन्हें किसी भी ²ष्टि से विधेयक किसान विरोधी नहीं लगता है। मंडी शुल्क और कमीशन खोरी को खत्म करने वाला विधेयक इस लिहाज से ठीक है।

- शमीम अहमद, किसान साहनपुर कोरोना काल में किसान आर्थिक रूप से कमजोर हुआ है। किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिल जाए तो इससे अच्छी किसान हित में कोई योजना नहीं है। कृषि विधेयक के बारे में सुना पता चला कि किसान अपनी फसल कही भी बेच सकता है, लेकिन किसान फसल को कैसे ले जाएगा यह स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। विधयेक हित में भी लगता है और जोखिम भरा भी।

- तेजपाल सिंह, किसान मिर्जापुर -कृषि विधेयक किसानों के साथ धोखा है। किसानों को उनके क्षेत्र में ही फसल के सही दाम दिलाने जाए। कम पढ़े-लिखे किसान को विधेयक को समझ नहीं पा रहे हैं। संसाधनों के अभाव में किसान पूंजीपतियों की हाथों अपनी फसल बेचने को मजबूर हो जाएगा। किसानों को उनके खेतों में खड़ी फसल के दाम दिलाने के लिए सरकार विधेयक लाती तो किसान संपन्न भी होता और सु²ढ़ भी।

- देव प्रताप, किसान बुडगरा।


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