आठ बीघा तालाब को बना दिया कूड़ा घर
जेएनएन बिजनौर। ग्रामीण क्षेत्रों में जो तालाब कभी पशुपालकों और किसानों के लाभकारी होते थे
जेएनएन, बिजनौर। ग्रामीण क्षेत्रों में जो तालाब कभी पशुपालकों और किसानों के लाभकारी होते थे, आज विभागीय उपेक्षा और लापरवाही के चलते उनका अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है। रेहड़ के गांव दहलावाला में मौजूद ऐसा ही एक तालाब है जो कभी करीब साढ़े आठ बीघा का हुआ करता था। लेकिन आज आसपास बसावट होने से इसे कूड़ा घर बना दिया गया है। अतिक्रमण व कब्जों के कारण यह लगातार सिमटता जा रहा है।
राजस्व विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही के चलते गांव दहलावाला के मौजा वशींजोत में आबादी के बीच स्थित लगभग साढ़े आठ बीघे में फैले तालाब का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है। यह तालाब अब आबादी के बीच आ चुका है। ग्राम पंचायत और राजस्व विभाग द्वारा मनरेगा से या अन्य किसी योजना के माध्यम से इसकी साफ-सफाई या सौंदर्यीकरण का कोई कार्य नहीं कराया गया है। पिछले कई सालों से सफाई ना होने से आज यह कूड़ा करकट, समुद्र सोख नामक पानी की घास और झाड़ियों से पट गया है। ग्रामीण जयपाल सिंह चौहान, प्रेम प्रकाश, विपिन कुमार, सुरेंद्र सिंह, मनोज कुमार आदि का कहना है कि पिछले कुछ समय से तालाब के आसपास तेजी से बसावट हो रही है। आसपास के लोगों ने अपने उपलों के बिटौड़े, लकड़ियां और कूड़ा डालकर इसपर कब्जा करना शुरू कर दिया है।
ऐसा नहीं है कि संबंधित कर्मचारियों व अधिकारियों को पता नहीं है लेकिन ग्रामीणों द्वारा कई बार शिकायत के बावजूद उनकी नजर यहां नहीं जाती है। दहलावाला में बड़े पैमाने पर महिलाएं अपने घरों में प्लास्टिक की पन्नी से बारीक बान बनाने का कार्य करती हैं। बान बनाने के दौरान खराब होने वाली प्लास्टिक की पन्नी को भी इस तालाब में फेंका जा रहा है, जिसके चलते यह तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। इस बारे में एसडीएम धीरेंद्र सिंह का कहना है कि संबंधित अधिकारियों से तालाब की जांच कराकर जल्द ही इसकी दशा सुधरवाने का प्रयास किया जाएगा।