कस्बों से देहात तक डिजीटल भुगतान में आई तेजी
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच कई तरह से लोगों की जीवन शैली में बदलाव देखने को मिला है। विशेषकर शारीरिक दूरी पर हर वर्ग का ध्यान है। तो बाजारों में भी इसका असर देखने को मिला है। यह वजह है कि दुकानों व अन्य काम काज के लिए रुपयों के लेनदेन की प्रक्रिया में बदलाव हुआ है।
बिजनौर, जेएनएन। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच कई तरह से लोगों की जीवन शैली में बदलाव देखने को मिला है। विशेषकर शारीरिक दूरी पर हर वर्ग का ध्यान है। तो बाजारों में भी इसका असर देखने को मिला है। यह वजह है कि दुकानों व अन्य काम काज के लिए रुपयों के लेनदेन की प्रक्रिया में बदलाव हुआ है। लोगों ने रुपयों के लेनदेन में भी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। वजह, कहीं नोटों में कोरोना न हो। जिससे डिजीटल भुगतान करने वालों की संख्या भी बढ़ गई है। शहर ही नहीं, गांव से देहात तक लोगों ने डिजीटल भुगतान की प्रक्रिया को अपनानी शुरू कर दी है।
कोरोना ने बड़े शहरों के साथ नगरों और गांवों में भी अपना प्रकोप फैलाया है। कई जगह तो स्थिति यह रही कि कंटेनमेंट जोन बनने के बाद बैंक भी एक-एक महीना तक बंद रहे। वहीं, दुकानदारों ने भी रुपयों के लेनदेन में सतर्कता बरती। एक तरफ कोरोना का डर तो दूसरी और रुपयों से संक्रमण का भय होना। ऐसे में छोटी से छोटी वस्तुओं की खरीदारी में लोगों ने आनलाइन पैमेंट या अन्य एप के माध्यम से भुगतान करना मुनासिब समझा। चांदपुर व उसके आसपास का एरिया छोटे कस्बों में शामिल है। लेकिन, यहां भी डिजीटल भुगतान में बढ़ोतरी देखने को मिली है। दुकानदार शलभ कुमार ने बताया कि लॉकडाउन में तय समय में दुकान खुली, तो रुपयों के लेनदेन में भी सतर्कता बरती गई। उन्होंने अधिकांश लोगों डिजीटल भुगतान के माध्यम से पैमेंट कराया। अब भी वह इसी पर फोकस कर रहे हैं। ताकि, कोरोना से बचा जा सके। सेनेट्री व्यापारी निमित कुमार ने बताया कि अभी स्वाइप मशीन तो नहीं है, लेकिन मोबाइल एप के माध्यम से वह ग्राहकों से पैमेंट ले रहे हैं।
अपनाई डिजीटल भुगतान की प्रक्रिया
देखा गया है कि साइबर क्राइम और फ्रॉड होने के डर से अभी लोग मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान करने से डरते हैं, वहीं एप भी मोबाइल में डाउनलोड नहीं करते। लेकिन, कोरोना के डर ने फ्राड से डरने वालों और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जागरूक कर दिया है। गांव बागड़पुर निवासी रामेंद्र सिंह व गांव तोहफापुर निवासी नूतन सिंह ने बताया कि कोरोना से पहले तक वह नगद भुगतान पर विश्वास रखते थे। लेकिन, कोरोना ने उन्हें भी डिजीटल भुगतान के लिए मजबूर कर दिया है। वह मोबाइल एप के माध्यम से छोटे से छोटे और बड़े- बड़े भुगतान करते हैं। गांव चुखेड़ी विनीत कुमार ने बताया कि कहीं न कहीं नोटों से भी कोरोना का संक्रमण होने का भय है। जिसके चलते उन्होंने भी डिजीटल लेनदेन को अपनाया है।