दारोगा के परिवार के सदस्य का हुआ वाइस एनालाइजर
बिजनौर: दारोगा हत्याकांड में नाकाम पुलिस ने एक परिवार के सदस्य का वाइस एनालाइजर टेस्ट कर
बिजनौर: दारोगा हत्याकांड में नाकाम पुलिस ने एक परिवार के सदस्य का वाइस एनालाइजर टेस्ट कराया है। प्रयोगशाला में करीब पचास सवाल सदस्य पर दागे गए हैं। समीक्षा के बाद टेस्ट के आधार पर उसे क्लीनचिट दे दी गई है। हालांकि आवश्यकता पड़ने पर पुलिस पालीग्राफिक व नारको टेस्ट भी करा सकती है।
मंडावर थाना क्षेत्र के बालावाली चौकी इंचार्ज सहजोर ¨सह मलिक निवासी लिसाढ़ शामली की 30 जून को गला रेतकर नृशंस हत्या कर दी गई थी। दारोगा की पिस्टल भी लूटकर ले गए थे। आधा दर्जन टीमें दो माह से हत्याकांड का पर्दाफाश करने के कोशिश में लगी है। पुलिस खनन, शराब तस्करी, निजी रंजिश, नशेड़ी गैंग व पुराने केसों से जुड़ी ¨बदुओं पर गहराई से पड़ताल कर चुकी है। काफी प्रयास के बाद पुलिस को मायूसी हाथ लगी है। चौतरफा निराशा के बाद पुलिस कुछ संदिग्धों का पॉलीग्राफिक व नारको टेस्ट कराने का विचार किया है। पुलिस ने इस टेस्ट के लिए कुछ संदिग्ध चिह्नित भी किए हैं। समस्या यह है कि इस टेस्ट की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। कोर्ट के अनुमति के अलावा टेस्ट से गुजरने वाले व्यक्ति की हामी की आवश्यकता होती है। पुलिस की टारगेट पर दारोगा के परिवार का एक सदस्य भी है। इसलिए पुलिस ने परिवार के सदस्य का एक अन्य टेस्ट वाइस एनालाइजर कराया है। इस जांच में व्यक्ति की आवाज से उसका झूठ या सच पकड़ा जाता है। पुलिस सदस्य का टेस्ट लखनऊ की लैब में करा चुकी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सदस्य को करीब पचास सवालों से गुजरना पड़ा। विशेषज्ञों की टीम ने अलग-अलग तरीके से सवाल दागे। संदिग्ध ने बिना रुके सवालों को पार कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस टेस्ट में भूमिका पर सही पाई गई है।
लखनऊ व हैदराबाद में है प्रयोगशाला
वाइस एनालाइजर की प्रयोगशाला देश में महज लखनऊ व हैदराबाद में है। लखनऊ में एसटीएफ के अधीन यह प्रयोगशाला है। इसमें संदिग्ध को एक मशीन के सामने खड़ा होना पड़ता है। जिसके बाद विशेषज्ञ घटना के संबंधित सवाल संदिग्ध से पूछता है। उस सवाल पर अगर व्यक्ति की आवाज में बदलाव आता है या रुकता है। वह संदिग्ध की भूमिका में माना जाता है। तमाम सवाल के बाद पूरे टेस्ट का विश्लेषण किया जाता है। उक्त व्यक्ति की भूमिका की जांच की जा जाती है। इस टेस्ट के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं पढ़ती है। पॉलीग्राफिक व नारको टेस्ट के लिए तमाम प्रक्रिया पुलिस को पूरी करनी होती है।