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फिटनेस से कोसों दूर होते हैं डग्गामार वाहन

जिले में हादसे काफी संख्या में होते हैं। इसकी वजह खराब फिटनेस और डग्गामार वाहन ही हादसे की वजह बनते है। डग्गामार वाहन फिटनेस से कोसों दूर होते हैं। आरटीओ विभाग में वाहनों की फिटनेस में खानापूर्ति होती है। इसलिए खराब फिटनेस भी वाहन सड़क पर दौड़ते रहे हैं। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस सिर्फ औपचारिकता निभाती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 05:45 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 05:45 PM (IST)
फिटनेस से कोसों दूर होते हैं डग्गामार वाहन
फिटनेस से कोसों दूर होते हैं डग्गामार वाहन

जेएनएन, बिजनौर। जिले में हादसे काफी संख्या में होते हैं। इसकी वजह खराब फिटनेस और डग्गामार वाहन ही हादसे की वजह बनते है। डग्गामार वाहन फिटनेस से कोसों दूर होते हैं। आरटीओ विभाग में वाहनों की फिटनेस में खानापूर्ति होती है। इसलिए खराब फिटनेस भी वाहन सड़क पर दौड़ते रहे हैं। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस सिर्फ औपचारिकता निभाती है।

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जनपद में हर साल 500 से अधिक हादसे होते हैं, जिनमें 400 से अधिक लोग जान गंवा देते हैं। इससे कहीं अधिक अपंग या घायल होते है। सरकारी सिस्टम हर बार दावा करता है। जमीनी स्तर पर कोई असर नहीं दिखाई देता है। वाहनों के लिए अनिवार्य सुरक्षा मानक जैसा कोई प्रावधान अभी देश के पास नहीं है। फिटनेस पर वाहन खरे नहीं उतरते हैं। बड़े वाहनों और छोटे वाहनों जैसे कार, साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, तांगा, बुग्गी, रिक्शा, इत्यादि की फिटनेस भी कमजोर होती है।

आरटीओ दफ्तर में सिर्फ फिटनेस के नाम पर औपचारिकता पूरी होती है। ठंड के मौसम में हादसे के बचाव के प्रबंधन भी वाहनों पर नहीं होते हैं। ट्रैक्टर-ट्रॉली, जुगाड़ समेत अन्य डग्गामार वाहन भी हादसे की वजह बनते हैं। कोहरे में इन वाहनों से हादसे होने की संभावना अधिक रहती है। कोहरे में इनसे टक्कर लगने की संभावना बनी रहती है। बचाव के लिए फॉग लाइट और रिफ्लेक्टर लगाए जाते हैं। रोक के बाद भी डग्गामार वाहन सड़कों पर बेरोक-टोक दौड़ रहे हैं। इसलिए देहात क्षेत्र में दुर्घटनाएं अधिक होती है।

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अच्छी फिटनेस से लगेगी लगाम

फॉग लाइट, हेड लाइट, बैक लाइट, पार्किंग लाइट, कलर रिफ्लेक्टर वाहनों पर लगे होने चाहिए। अच्छी फिटनेस से हादसों पर लगाम लग सकती है। चालक को यातायात नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। नियमों पर भी सख्ती होनी चाहिए। इस तरह के वाहनों को सीज कर चाहिए। सड़क किनारे वाहन खड़े करने वाले चालकों पर कार्रवाई होनी चाहिए। यातायात पुलिस को सख्ती से पालन की आवश्यकता है। ट्रैफिक के नए कानून को सख्ती से लागू करें। तभी हादसों पर रोक लग सकती है।

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वाहनों की फिटनेस आरआई के देखरेख में होती है। इस दौरान वाहनों के एक्सपर्ट फिटनेस की जांच करते हैं। मानकों पर खरा उतरने पर ही फिटनेस जांच पूरी की जाती है।

-प्रणव झा, आरटीओ प्रवर्तन।


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