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बिगड़े हालातों के आगे तड़प रहे मरीज, स्वजन भी बेहाल

जेएनएन बिजनौर। कोरोना को लेकर स्थिति अभी भी बहुत खराब है। मरीजों की संख्या में भी इजाफा द

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 09:43 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 09:43 PM (IST)
बिगड़े हालातों के आगे तड़प रहे मरीज, स्वजन भी बेहाल
बिगड़े हालातों के आगे तड़प रहे मरीज, स्वजन भी बेहाल

जेएनएन, बिजनौर। कोरोना को लेकर स्थिति अभी भी बहुत खराब है। मरीजों की संख्या में भी इजाफा देखा जा रहा है। बुखार और कोरोना के लक्षण वालों को तो अस्पतालों में भर्ती होने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। वहीं, आक्सीजन की पूर्ति नहीं हो पा रही है, ऐसे में मरीज तड़प रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग भी खोखले दावों के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा है। कुछ निजी अस्पताल जिनके मरीजों को इलाज चल रहा है, उसके बार तीमारदार परेशान नजर आ रहे हैं।

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कोरोना की लहर थमने का नाम नहीं ले रही है। खूब हायतौबा मचने के बाद भी मरीजों का हाल बेहाल है। बुखार और कोरोना संक्रमित इलाज के लिए निजी से सरकारी अस्पताल तक चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। वहीं, आक्सीजन सिलेंडर की कमी बदस्तूर जारी है। मरीजों की तीमारदार भी बेहाल हैं। अपने मरीजों के लिए आक्सीजन सिलेंडर के लिए अभी भी दर-दर भटकने को मजबूर हैं। अव्यवस्थाओं के चलते मरीजों की सांस फूल रही हैं। वहीं, आक्सीजन और इलाज न मिलने के चलते मरीज दम भी तोड़ रहे हैं। देखने में आ रहा है कि जगह-जगह निजी चिकित्सकों ने अपने क्लीनिक या अस्पतालों पर ओपीडी पूरी तरह बंद कर दी है, ऐसे में हालात और भी बिगड़ रहे हैं। कुछ जगह निजी अस्पतालों में मरीजों को इलाज मिल भी रहा है तो तीमारदार परेशान नजर आ रहे हैं। वहीं, अस्पताल के अंदर सिसकती सांसों के साथ मरीज बेहाल है।

केस-1:

क्षेत्र के गांव औरंगाबाद निवासी सुधा के पति मनोहर को पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हो गए। उनकी आक्सीजन कम हुई तो वह इधर-उधर भटकती रहीं। निजी अस्पताल से लेकर सरकारी अस्पताल के चक्कर काटे, लेकिन न तो इलाज मिला और न ही आक्सीजन सिलेंडर। काफी प्रयास के बाद सिलेंडर मिला, जिसके बाद उनकी सेहत में सुधार हो सका। उनका कहना है कि स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ध्वस्त हैं।

केस-2:

गांव जाफरपुर हुसैनपुर निवासी वीरेंद्र सिंह की बहन पिछले दिनों बुखार से पीड़ित हो गई। तबीयत बिगड़ने के साथ उनका आक्सीजन स्तर काफी कम हो गया। सिलेंडर के साथ वह उन्हें लेकर सरकारी अस्पताल भी पहुंचे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। निजी अस्पतालों में भी इलाज नहीं मिल सका। आखिरकार मंगलवार को उनकी मौत हो गई।


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