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लगातार हो रहा शीशी उद्योग का पतन

इस हालत में मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार को चाहिए कि किसी भी सूरत में फैक्ट्रियों को बंद होने से रोका जाए। या फिर बेरोजगारों के लिए रोजगार के नए रास्ते खोले जाएं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 10:59 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 10:59 PM (IST)
लगातार हो रहा शीशी उद्योग का पतन
लगातार हो रहा शीशी उद्योग का पतन

बिजनौर, जेएनएन। कस्बे को दूरदराज क्षेत्रों में पहचान दिलाने वाला शीशी उद्योग की कमर कांच की तरह चटक चुकी है। कम कीमत पर कोयला उपलब्ध कराने या प्राकृतिक गैस की सुविधा प्रदान करने की कारोबारियों की वर्षो से लंबित मांग को सरकार आज तक पूरा नहीं कर सकी है। यही कारण है कि किरतपुर का सैकड़ों वर्ष पुराना कांच का शीशी उद्योग अब बंदी की कगार पर है। कई फैक्ट्रियां बंद हो जाने से हजारों मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं।

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शीशी उद्योग के क्षेत्र में किरतपुर कस्बे को कमल ग्लास फैक्ट्री, जनरल ग्लास फैक्ट्री, चांद ग्लास फैक्ट्री, कैपिटल ग्लास फैक्ट्री, जवान ग्लास फैक्ट्री, विशाल ग्लास, शान ग्लास, संगम ग्लास, संजय ग्लास, मैट्रो ग्लास, हिमालय ग्लास, मुमताज ग्लास, सेवा ग्लास और ताज ग्लास फैक्ट्री ने पहचान दिलाई। इन कारखानों में बनने वाली अलग-अलग आकार की कांच की शीशी इत्र, नेल पॉलिश, इंक आदि को रखने में इस्तेमाल होती थी। यहां बनी शीशियां देश-विदेश में भेजी जाती थीं। कोयला महंगा होने और आसानी से नहीं मिलने के कारण इस उद्योग को ग्रहण लग गया। प्राकृतिक गैस भी कारोबारियों को नहीं मिल पाने के कारण एक-एक कर कई फैक्ट्रियां बंद हो गईं। आज आलम यह है कि गिनी-चुनी फैक्ट्रियां इस उद्योग में किरतपुर की पहचान को जिदा रखे हुए हैं। -नहीं मिल रहा सस्ता कोयला और प्राकृतिक गैस

पहले कोयला सस्ता था और आसानी से मिल जाता था। अब स्थिति बिल्कुल विपरीत है। सरकार सस्ती दरों पर कोयल उपलब्ध कराए या फिर कांच फैक्ट्रियों को चलाने के लिए फिरोजबाद की तर्ज पर प्राकृतिक गैस उपलब्ध कराई जाए, तो ही फैक्ट्रियां चल सकती हैं। -जहीर अहमद (फैक्ट्री स्वामी) -सरकार की नीतियां सुधरेंगी, तो चलेंगी फैक्ट्रियां

फैक्ट्रियां घट रही हैं। नौकरियां खत्म हो रही हैं। किसी जमाने में शीशी बनाने वाली डेढ़ दर्जन फैक्ट्रियां हुआ करती थीं, आज केवल तीन हैं। यह सब सरकार की गलत नीतियों के कारण है। सरकार ने अब भी कुछ नहीं किया, तो फिर एक दिन सभी फैक्ट्रियां बंद हो जाएंगी। -मोहम्मद नूर (फैक्ट्री स्वामी) -दिनोंदिन बेरोजगार हो रहे हैं लोग

अक्सर कोयला नहीं मिलने पर फैक्ट्रियां बंद हो जाती हैं। इस हालत में मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार को चाहिए कि किसी भी सूरत में फैक्ट्रियों को बंद होने से रोका जाए। या फिर बेरोजगारों के लिए रोजगार के नए रास्ते खोले जाएं। -अनीस अहमद (मजदूर)


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