आर्यसमाज का स्थापना दिवस मनाया, यज्ञ में दीं गई आहुतियां
आर्यसमाज आदर्शनगर में नवसंवत्सर पर आर्यसमाज का स्थापना दिवस धार्मिक रस्मोरिवाज के साथ मनाया गया। आर्य समाजियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ में आहुतियां दीं।
जेएनएन, बिजनौर। आर्यसमाज आदर्शनगर में नवसंवत्सर पर आर्यसमाज का स्थापना दिवस धार्मिक रस्मोरिवाज के साथ मनाया गया। इस मौके पर आर्य समाजियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ में आहुतियां दीं।
मंगलवार को सुबह आर्यसमाज भवन आदर्शनगर में वृहद यज्ञ संपन्न होने पर बौद्धिक संगोष्ठी हुई। आर्य समाज के प्रधान डा. ओमपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने अनेकों आघात सहे। उन्होंने सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग के काल खंड की व्याख्या करते हुए बताया कि सृष्टि की आयु चार अरब 32 करोड़ वर्ष है। ईश्वर ने सृष्टि की रचना असीम ज्ञान व सामर्थ्य द्वारा मनुष्य के लिए की। वहीं, वेद एवं ज्ञान द्वारा जीवन जीने की उन्नत विधि प्रदान की। जयपाल आर्य ने भजन गायन करते हुए सृष्टि पर जन्मे जीवों के संरक्षण के लिए प्रकृति के उपकारों का वर्णन किया।
विक्रम सिंह आर्य ने कहा कि प्रकृति के सान्निध्य में रहते हुए पके भोजन का दसवां भाग दोपहर से पहले लेने से मनुष्य कई बीमारियों से बच सकता है। संतोष बाला आर्या ने कहा कि वेद मनुष्य के लिए हैं। वेद मंत्रों के अर्थो को समझकर उस पर आचरण द्वारा ही मनुष्य स्वयं सुखी रहकर समाज व राष्ट्र को सुखी कर सकता है।
प्रकृति के संरक्षण-संवर्धन के लिए मुकेश आर्य ने जैविक खाद की उपयोगिता बताते हुए कहा कि थोड़े से पुरुषार्थ से ही हम केमिकल रहित सब्जियां घर पर गमलों में उगाकर सेवन कर सकते हैं। यह कोशिश पर्यावरण को शुद्ध रखने में सहायक होगी। कार्यक्रम में पवन आर्य, विकास आर्य, खेमचंद आर्य, कल्पना आर्या, प्रशांत आर्य आदि उपस्थित रहे।