आखिर कब मिलेगी आवारा कुत्तों से निजात
जेएनएन बिजनौर। जनपद के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा कुत्तों का आतंक से हर कोई
जेएनएन, बिजनौर। जनपद के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा कुत्तों का आतंक से हर कोई परेशान है, जहां कुत्तों की नसबंदी कागजों में सिमट गई। वहीं बिना विभाग की अनुमति कुत्तों की धरपकड़ संभव नहीं है। जिला मुख्यालय पर स्थित सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन पर्याप्त स्थिति में है, जबकि देहात में यदाकदा एंटी रैबीज इंजेक्शन की कमी उत्पन्न हो जाती है।
जनपद के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में आवारा कुत्तों की संख्या सुरसा के मुंह की तरह से बढ़ रही है, कितु इनकी धरपकड़ के लिए वन विभाग से अनुमति लेना बेहद जरूरी है। कई साल से धरपकड़ नहीं होने की वजह से वर्तमान में कुत्तों की संख्या करीब दस हजार से अधिक होगी। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मानें तो प्रत्येक कार्य दिवस में 250 से 300 लोग सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं। तीन साल पहले जिले में आवारा कुत्तों की धरपकड़ के लिए अभियान चला था, लेकिन पशु प्रेमियों ने इस पर अभियान का विरोध शुरू कर दिया। वहीं संशाधनों की कमी की वजह से यह अभियान बंद कर दिया गया। वहीं आवारा कुत्तों की नसबंदी का आदेश भी कागजों के ढेर में दबकर रह गया। इन कुत्तों के वाहनों के पीछे दौड़ने की वजह से कई बार दो पहिया वाहन चालक भी चोटिल हो रहे हैं। मजबूरन बाजार से खरीदकर इंजेक्शन लगवाना पड़ता है। उधर, कुत्ता पालने के लिए निकायों में पंजीकरण कराकर लाइसेंस लिया जाना जरूरी है, कितु अधिकांश लोग बिना लाइसेंस लिए कुत्ता पाल रहे हैं। अभी तक यह भी जांच नहीं हुई कि किस व्यक्ति ने कौन सी नस्ल का कुत्ता पाल रखा है।
इनका कहना है कि-
आवारा कुत्तों की धरपकड़ के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। इन कुत्तों की नसबंदी कराए जाने के लिए सामाजिक संगठनों से भी वार्ता चल रही है।
-दुर्गेश्वर त्रिपाठी, ईओ बिजनौर।
पिछले एक माह जिले में एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं है। शासन को डिमांड भेजी गई है। इंजेक्शन मिलते ही सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाए जाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
-डा. वीके यादव, सीएमओ।