80 बूथों पर 22330 ने कराया टीकाकरण
जिले में मंगलवार को 49 कलस्टर बूथों समेत कुल 80 बूथों लगाए गए। सभी बूथों पर 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों ने टीकाकरण कराया। स्वास्थ्य विभाग को अब तक 22330 लोगों को टीकाकरण कराने की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है।
जेएनएन, बिजनौर। जिले में मंगलवार को 49 कलस्टर बूथों समेत कुल 80 बूथों लगाए गए। सभी बूथों पर 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों ने टीकाकरण कराया। स्वास्थ्य विभाग को अब तक 22330 लोगों को टीकाकरण कराने की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है।
मंगलवार को बिजनौर शहरी क्षेत्र, ब्लाक चंदक, किरतपुर, नहटौर में तीन-तीन बूथों पर लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई। ब्लाक जलीलपुर में तीन, नगीना, नजीबाबाद, नूरपुर, धामपुर, हल्दौर में एक-एक, स्योहारा में तीन, कासमपुर गढ़ी में चार एवं कोतवाली देहात में चार बूथों पर कौवैक्सीन का टीकाकरण किया गया। इनके अलावा हल्दौर, धामपुर, नूरपुर एवं नजीबाबाद में कलस्टर बूथ लगाए गये। महिला अस्पताल में एक बूथ केवल महिलाओं एवं युवतियों के लिए, कासमपुर गढ़ी में अभिभावकों के लिए एवं जेल परिसर में स्पेशल टीकाकरण लगाए गये। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी/एसीएमओ डा. अशोक कुमार बताते है कि लोगों को टीकाकरण कराने में किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए अब सभी बूथों पर ऑन दी स्पॉट रजिस्ट्रेशन कर टीकाकरण किया जा रहा है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि टीकाकरण अवश्य कराएं। किसी प्रकार का भ्रम न रखे। कोरोना से बचाव की वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। यह शरीर को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाती है।
कोरोना से मुक्ति के लिए प्रार्थना की
फुलसंदा दरबार में विश्व शांति के लिए 11 दिवसीय मृगदेव महापरायण यज्ञ के आठवें दिन आचार्यो द्वारा वेद मंत्रों का पाठ कर श्रद्धालुओं ने हवन में आहुति दी। कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए परमात्मा से प्रार्थना की।
फुलसंदा आश्रम में नौ जुलाई तक मृगदेव महापारायण यज्ञ का आयोजन हो रहा है। कार्यक्रम में हरियाणा के बरनाला शहर से आए आचार्य शोभित शास्त्री, जयवीर शास्त्री और अमित शास्त्री ने वेद मंत्रों का पाठ कर हवन में श्रद्धालुओं ने आहुति दी। आठवें दिन सतपुरुष बाबा फुलसंदे वालों ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए तथा प्रतिदिन वेद का पाठ करना चाहिए। प्रत्येक दिन वेद की दो मृच्चाओं का पाठ अर्थ सहित करना चाहिए। वेद मंत्रों से अपने घर पर स्वयं यज्ञ करें और यज्ञ के बाद दान निकालें तथा उस दान को किसी उचित व्यक्ति को सौंप दें। यज्ञ के बाद भंडारे का आयोजन कर प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।