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कई जनपदों के 100 से ज्यादा छात्रों को दिलाई डिग्रियां

बिजनौर जेएनएन। भारतीय संविधान ने आम नागरिक को शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने का भी अधिकार

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 11:02 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 06:03 AM (IST)
कई जनपदों के 100 से ज्यादा छात्रों को दिलाई डिग्रियां
कई जनपदों के 100 से ज्यादा छात्रों को दिलाई डिग्रियां

बिजनौर, जेएनएन। भारतीय संविधान ने आम नागरिक को शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने का भी अधिकार दिया है। फर्क केवल इतना है कि कुछ लोग अपनी समस्याओं के निराकरण और अपना हक हासिल करने के लिए आवाज उठाते हैं और कुछ समाज के हर एक वर्ग के अधिकारों के लिए स्वतंत्रता के सारथी बनकर शोषण के खिलाफ लड़ते हैं।

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नांगलसोती निवासी हेमेंद्र सिंह को पिता की एक दुर्घटना में मौत होने के बाद कंपनियों से बीमे की रकम मिल गई थी, लेकिन पीएनबी से किसान दुर्घटना का पैसा नहीं मिलने पर 16 अप्रैल 2008 को हेमेंद्र ने बैंक के खिलाफ सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में सूचना नहीं मिलने पर केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की। जिस पर बैंक ने किसान दुर्घटना बीमा राशि का भुगतान किया। हेमेंद्र की इस कोशिश से अन्य किसानों को भी लाभ पहुंचा था। इतना ही नहीं किसान सेवा सहकारी समिति के खिलाफ आवाज उठाकर दस वर्ष बाद बीमा राशि प्राप्त की। हेमेंद्र सिंह ने कागजों में बनी सड़क के एवज में मोटी रकम खुर्द-बुर्द होने की आशंका के साथ आवाज उठाई थी। उन्होंने यह मुद्दा तत्कालीन डीएम वीके आनंद के समक्ष उठाया था। डीएम द्वारा कराई गई जांच में यह बात सामने आई थी कि नांगलसोती से रायपुर खास तक पांच किलोमीटर लंबी सड़क बनवाए बिना ही एक करोड़ 31 लाख रुपये की लागत से मार्ग का निर्माण होना दिखा दिया गया। जिस पर बाद में मार्ग बनाया गया था। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना खुले में शौचमुक्त अभियान को पलीता लगाए जाने पर भी हेमेंद्र सिंह ने आवाज उठाई थी। उनके प्रयासों से वर्ष 2016 में न्याय पंचायत नांगल को ओडीएफ में शामिल किया गया। योजना का लाभ नांगल, जीतपुर, शहजादपुर, खानपुर एवं मायापुरी आदि गांवों के ग्रामीणों को मिला था।

हेमेंद्र सिंह बताते हैं कि मुरादाबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक, एमटेक के जनपद बिजनौर सहित आसपास के जनपदों के 100 से ज्यादा छात्रों को चार साल से डिग्री नहीं दिए जाने पर उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ से सूचना मांगी गई, तो सभी छात्रों को डिग्रियां दी गईं। भूमि संरक्षण विभाग से वर्ष 2012 से 2015 के बीच कार्य का ब्यौरा मांगा था। जिससे बौखलाकर कई श्रमिकों को उनकी रुकी हुई मजदूरी दी गई थी। हेमेंद्र कहते हैं कि हर एक भारतीय को शोषण के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।


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