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ढाई साल बाद भी नहीं मिला बकाया मानदेय, संकट में परिवार

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) किसी भी कारणवश शिक्षा से वंचित रह गए 15 वर्ष से ऊपर

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 08:52 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 08:52 PM (IST)
ढाई साल बाद भी नहीं मिला बकाया मानदेय, संकट में परिवार
ढाई साल बाद भी नहीं मिला बकाया मानदेय, संकट में परिवार

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : किसी भी कारणवश शिक्षा से वंचित रह गए 15 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को अक्षर ज्ञान कराकर साक्षर करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित भारत साक्षर मिशन योजना के तहत तैनात शिक्षा प्रेरक से लेकर ब्लाक व जिला कोआर्डिनेटर तक को आज तक बकाए मानदेय के भुगतान नहीं हो सकी। योजना बंद कर दी गई लेकिन बकाए मानदेय का भुगतान नहीं किया गया। आर्थिक संकट में फंसे प्रेरकों व उनके स्वजनों को आज भी मानदेय का इंतजार है।

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बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत वर्ष 2008 में संचालित की गई साक्षर भारत मिशन योजना के तहत जिले में 15 वर्ष से ऊपर के निरक्षर व्यक्तियों को साक्षर करने के लिए प्रत्येक 561 गांवों में दो-दो शिक्षा प्रेरकों (एक महिला-एक पुरुष) की 2000 रुपये मानदेय पर तैनाती की गई थी। हालांकि कुल 850 प्रेरक नियमित तौर पर काम कर रहे थे। वर्ष 2018 में अचानक योजना को बंद कर दिया गया। इससे शिक्षा प्रेरक से लेकर ब्लाक व जिला स्तर पर तैनात कोआर्डिनेटर तक को घर बैठ गए। सभी को इंतजार था कि उनके मानदेय की भुगतान होगा। काम छूटने के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं लेकिन उनके बकाए मानदेय का आज तक भुगतान नहीं हो सका है। जबकि स्थिति यह है कि प्रेरकों का जहां 15 से 20 हजार जिला कोआर्डिनेटरों का डेढ़ लाख तो ब्लाक कोआर्डिनेटरों का ढाई-ढाई लाख रुपये तक का मानदेय फंसा है। योजना के तहत तैनात जिला कोआर्डिनेटर नीरज उपाध्याय ने बताया कि शासन को कई बार बकाए मानदेय के लिए पत्र भेजा गया, आश्वासन भी मिला था लेकिन मानदेय का भुगतान आज तक नहीं हो सका। भुगतान हो जाता तो सभी को राहत मिल जाती।


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