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ऐसे तो निर्मल हो चुकीं मोक्षदायिनी, बंद नहीं हुई लोटा परेड

मोक्षदायिनी को निर्मल रखने की केन्द्र सरकार की कवायद अधिकारियों के अकर्मण्यता की भेंट चढ़ गई। आलम यह है कि नमामि गंगा योजना के तहत जिले मे गंगा तटीय 47 गांवों में शौचालय उपयोग पहले ही ध्वस्त हो गए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 11:21 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 06:22 AM (IST)
ऐसे तो निर्मल हो चुकीं मोक्षदायिनी, बंद नहीं हुई लोटा परेड
ऐसे तो निर्मल हो चुकीं मोक्षदायिनी, बंद नहीं हुई लोटा परेड

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मोक्षदायिनी को निर्मल रखने की केंद्र सरकार की कवायद अधिकारियों के अकर्मण्यता की भेंट चढ़ गई। आलम यह है कि नमामि गंगा योजना के तहत जिले में गंगा तटीय 47 गांवों में शौचालय उपयोग पहले ही ध्वस्त हो गए। ग्राम प्रधानों ने गाइड-लाइन की अनदेखी कर शौचालय का निर्माण करा दिया है।

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गंगा की निर्मलता बनाए रखने के लिए नमामि गंगे योजना के अंतर्गत तटीय क्षेत्रों के 47 ग्राम पंचायतों में 25 हजार शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है। इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट भी शासन को प्रेषित कर दिया गया कि गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों के गांव खुले में पूरी तरह शौच मुक्त हो चुके हैं। हकीकत यह है कि अस्सी फीसद शौचालयों को मानक की अनदेखी कर तैयार करा दिया गया है। घटिया निर्माण होने के कारण लाभार्थी शौचालय का उपयोग भी नहीं कर सके। कहीं पर दीवार तैयार कर छोड़ दिया गया है तो कहीं पर गड्ढा। नियमानुसार एक शौचालय में दो गड्ढे निर्माण कराने कराने का प्रावधान है। बताया जा रहा है कि प्रत्येक शौचालयों के निर्माण में एक हजार दो सौ से लेकर 12 हजार रुपये तक खर्च किए गए हैं।

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करोड़ों खर्च फिर भी तटवर्ती क्षेत्रों में नहीं हो रहा उपयोग

- केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी नमामि गंगे योजना पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है। करोड़ों खर्च के बाद भी तटवर्ती क्षेत्रों में शौचालयों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। जिम्मेदार महकमा तो गांव में शौचलयों की हकीकत देखना भी उचित नहीं समझता है। धीरे-धीरे चार वर्ष से अधिक का समय बीत गया लेकिन अभी तक योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी। तटीय गांवों में लोग बेधड़क खुले में शौच के लिए मजबूर हैं। खास बात तो यह है कि शौचालय बनते ही ध्वस्त हो गए।

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तटवर्ती क्षेत्र के गांवों में प्रत्येक शौचालय निर्माण के लिए एक हजार दो सौ से 12 हजार रुपये तक खर्च किए गए हैं। इसके बाद भी जो लाभार्थी छूटे हुए हैं, उनकी सूची तैयार कर प्रक्रिया शुरू की गई है। शौचालय निर्माण के साथ ही साथ लोगों को अपने विचार को बदलना होगा। अधिसंख्य घरों में अब शौचालय का उपयोग किया जाने लगा है।

सरोज पांडेय, जिला समन्वयक, स्वच्छता मिशन।


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