अभिलेखों में हेरा-फेरी कर तालाबों की बदल दी जा रही नवइयत
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- मंडलायुक्त और डीएम भी नहीं बदल सकते हैं तालाबों के स्वरूप
- राजस्व अफसरों के संरक्षण में फल फूल रहा है जालसाजी का धंधा
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : राजस्व अभिलेखों में हेरा-फेरी कर अधिकारियों ने बेशकीमती तालाबों के नवइयत को बदल दी जा रही है। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश जारी किया है कि मंडलायुक्त और जिलाधिकारी ही नहीं हाईकोर्ट भी तालाब के स्वरूप नहीं बदल सकते हैं। कोर्ट ने इसे प्राकृतिक धरोहर की संज्ञा दी है। बावजूद इसके अधिकारी कानून को धता बताकर मनमानी आदेश जारी करते रहे हैं। आलम यह है कि अभी भी बेशकीमती तालाबों पर बहुमंजिला भवन तने हुए हैं।
जनपद के ज्ञानपुर, भदोही और औराई तहसीलों में स्थित बेशकीमती तालाबों पर भू-माफिया गिद्ध ²ष्टि गड़ाए हुए हैं। सर्वोच्च अदालत के आदेश से बचने के लिए भू-माफिया अभिलेखों में हेराफेरी कर नवइयत ही बदल दे रहे हैं। ज्ञानपुर तहसील क्षेत्र में तालाबों के नवइयत बदलने का खुला खेल चल रहा है। चकबंदी अभिलेखों में हेराफेरी कर बेशकीमती तालाबों पर नाम दर्ज करा लिया गया है। नियमानुसार किसी भी दशा में तालाब की नवइयत नहीं बदली जा सकी है। अभिलेखों में हेराफेरी करने वालों के साथ ही साथ रिकार्ड में नाम दर्ज करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। ज्ञानपुर तहसील में भी इस तरह की कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं। अधिकारियों ने अपील और निगरानी भी स्वीकार कर तालाबों पर नाम दर्ज कराने वालों को संरक्षण दिया जा रहा है। अधिकारी जानते हुए भी अंजान बने हुए हैं। एक अधिकारी का कहना है कि तालाब के ऐसे कई मामले हैं लेकिन कुछ होने वाला नहीं है। कोर्ट से ही मामले में राहत मिल जाती है।