अस्पताल का फर्नीचर चट कर गई दीमक, बोरे में रखी दवाएं
दैनिक जागरण ऊंज (भदोही) कोइरौना बाजार में चार बेड के आयुर्वेदिक अस्पताल की हालत खस्ता

दैनिक जागरण, ऊंज (भदोही) : कोइरौना बाजार में चार बेड के आयुर्वेदिक अस्पताल की हालत खस्ता है। दशकों पुराना यह अस्पताल पूरी तरह से जर्जर हो गया है। हालत यह कि लाखों रुपये मूल्य के फर्नीचर दीमक खा गई। दवा रखने की व्यवस्था न होने से उन्हें बोरे में भरकर रखा गया है। इससे दवा की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। दो साल से अस्पताल में चिकित्सक की तैनाती न होने से यह फार्मासिस्ट के भरोसे चल रहा।
कोरोना संक्रमण में जहां सभी अस्पताल अपडेट कर दिए गए वहीं आयुर्वेद पद्यति के इस अस्पताल पर विभाग का ध्यान नहीं है। जबकि लोगों का ज्यादा झुकाव, आयुर्वेद और होम्योपैथ की ओर हुआ है। क्षेत्र में 1955 में यह अस्पताल बना था, लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते अब इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। मौजूदा समय में अस्पताल की हालत बद से बदतर हो गई है। किसी भी रोग को जड़ से समाप्त करने में आयुर्वेद पद्यति से किए गए उपचार को सबसे कारगर माना जाता है। इसी भरोसे के चलते अस्पताल में क्षेत्र के लोग आते हैं लेकिन इसकी उपेक्षा की जा रही है। मरीजों को जरूरत के हिसाब से दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। प्रकाश व्यवस्था न होने से दिन में भी कमरों में अंधेरा छाया रहता है तो शौचालय एवं हैंडपंप की व्यवस्था न होने से परेशानी होती है। इसी तरह क्षेत्र के धनतुलसी, बयांव, कोइरौना, सुधवैं, पाली, चंदापुर अस्पताल के भवन भी जर्जर हो गए हैं।
वर्जन
जिले में जितने आयुर्वेदिक अस्पतालों में चिकित्सक की तैनाती नहीं है शासन को सूची भेजी गई है। जर्जर भवन वाले कई अस्पतालों में निर्माण कार्य चल रहा है। व्यवस्था सुधार की कोशिश की जा रही है।
- डाक्टर भावना द्विवेदी, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी, वाराणसी।
Edited By Jagran