शिक्षक व संसाधनों की कमी बनी शिक्षा की राह में बाधा
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) : सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनपद में प्रस्तावित कार्यक्
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) : सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनपद में प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर प्रशासनिक स्वांग भले ही शुरू कर दिया हो लेकिन उनके प्रथम आगमन पर कालीन नगरी भदोही के लोगों के जेहन में सवाल उठना लाजिमी है। खास बात तो यह है कि किसी भी बच्चे का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होगा तो शिक्षा ही देश व समाज के विकास को सही दिशा दे सकती है। इस सच्चाई को सभी आत्मसात करते हैं। बावजूद इसके वास्तविक धरातल पर देखा जाय तो प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर तक की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बदहाल नजर आती है। कहीं भवन खड़े हैं तो शिक्षकों का टोटा है तो कहीं शिक्षकों की भरमार है तो संसाधनों की कमी राह की ऐसी बाधा बनी है जिससे पार पाना कत्तई आसान नहीं दिखता। विशेषकर शिक्षा के लिए जरूरी संसाधनों की कमी को दूर करने व समय से उपलब्धता की ओर किसी का भी ध्यान नहीं हैं। इससे इतर जिले में इंजीनिय¨रग व मेडिकल कालेज की स्थापना से लेकर अति प्राचीन कीशा नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर को विश्वविद्यालय अथवा स्वायत्तशासी की दर्जा देने का सपना कब साकार होगा। मुख्यमंत्री के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर लोगों की उम्मीदे जवां होने लगी हैं। उन्हे भरोसा है कि जनपद को भी मेडिकल कालेज अथवा इंजीनिय¨रग कालेज का तोहफा मिल सकता है।
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माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों का टोटा
- प्राथमिक के बाद माध्यमिक शिक्षा की स्थिति भी खुशहाल नजर नहीं आती। यहां तो संसाधन के साथ शिक्षकों की कमी पढ़ाई की राह में बाधा बनी नजर आती है। जिले के विभूति नारायण राजकीय महाविद्यालय में जहां सृजित पदो के सापेक्ष आधे शिक्षकों की तैनाती नहीं है तो माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत उच्चीकृत किए गए 33 राजकीय हाईस्कूल में भी एक दो शिक्षकों के सहारे शिक्षा व्यवस्था की वैतरणी पार की जा रही है। इसी के साथ ही प्रायोगिक शिक्षा के लिए संसाधन व उपकरणों की कमी साफ दिखाई पड़ती है। ऐसे में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हो रहे तमाम दावे कितना फलीभूत हो रहे हैं इसका अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है।
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संसाधन व शिक्षकों की कमी से जूझ रही उच्च शिक्षा
- उच्च शिक्षा विभाग संसाधन व शिक्षकों की कमी से जूझ रही है। जिले के अति प्राचीन काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की बात करें तो वर्षों पूर्व सृजित प्राध्यापकों के 110 पदों के सापेक्ष मात्र 84 शिक्षकों की तैनाती है। जबकि छात्र-छात्राओं की संख्या काफी बढ़ चुकी है। इससे इतर संसाधनों का हाल यह है कि जहां भवन जर्जर पड़े हैं तो प्रयोगशाला में केमिकल व उपकरण की कमी से प्रायोगिक कक्षाएं नहीं चल पा रही है। प्रयोग के नाम पर महज खानापूर्ति ही होती देखी जा रही है।
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इंजीनिय¨रग व मेडिकल कालेज का सपना अधूरा
- पूरे जिले में इंजीनिय¨रग व मेडिकल कालेज का सपना अधूरा पड़ा है। बताते चलें कि जिले में एक भी सरकारी मेडिकल व इंजीनिय¨रग कालेज नहीं है। ऐसी दशा में जिले के छात्र-छात्राओं को अन्य स्थानों का ही सहारा लेना पड़ता है। यहां तक की काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय को विश्वविद्यालय अथवा स्वायत्तशासी का दर्जा देने की लंबे समय से उठ रही मांग भी कभी सदन में नहीं उठ सका है।