नहीं मिल रही टिकट, छूट रही ट्रेन
दो से ढाई लाख रुपये प्रतिदिन अर्निंग वाले आरक्षण केंद्र पर जल्द ही ताला लटक सकता है। तीन खिड़कियों वाले उक्त केंद्र पर विगत दो वर्ष से मात्र एक खिड़की से काम चल रहा है। कर्मचारियों के अभाव के चलते दूसरी खिड़की खुलने की नौबत नहीं आ रही है। इसके कारण यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। आफ सीजन में भी आरक्षण केंद्र की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है।
जासं, भदोही: दो से ढाई लाख रुपये प्रतिदिन अर्निंग वाले आरक्षण केंद्र पर जल्द ही ताला लटक सकता है। तीन खिड़कियों वाले उक्त केंद्र पर विगत दो वर्ष से मात्र एक खिड़की से काम चल रहा है। कर्मचारियों के अभाव के चलते दूसरी खिड़की खुलने की नौबत नहीं आ रही है। इसके कारण यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। आफ सीजन में भी आरक्षण केंद्र की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। यही हाल जनरल टिकट बुकिग का है। यात्रियों की बड़ी संख्या के मद्देनजर यहां भी दो खिड़कियों से टिकट वितरण होना चाहिए लेकिन एकल खिड़की का संचालन भी बमुश्किल हो रहा है।
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नौ के सापेक्ष तीन कर्मचारी
8 माह पहले तत्कालीन आरक्षण पर्यवेक्षक राजेंद्र सिंह के तबादले के बाद उक्त जिम्मेदारी क्लर्क सुदामा यादव संभाल रहे है। स्टेशन के आरक्षण केंद्र पर सुपरवाइजर को लेकर नौ कर्मचारियों की नियुक्ति होनी चाहिए लेकिन वर्तमान समय महत तीन से काम चलाया जा रहा है। इसके चलते तीन के बजाए एक खिड़की का संचालन हो रहा है।
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साधारण टिकट व्यवस्था छिन्न भिन्न
यात्रियों के दबाव वाले स्टेशन के साधारण टिकट वितरण केंद्र पर 6 कर्मचारियों की नियुक्ति होनी चाहिए लेकिन यहां भी महज तीन कर्मचारी उपलब्ध हैं। कोई कर्मचारी बीमार हो गया अथवा किसी कारण से अवकाश पर चला गया तो 12-12 घंटे ड्यूटी करना पड़ता है। एकल खिड़की वाले उक्त केंद्र समस्या विगत दो वर्ष से बनी हुई है।