खैरा रोग व जीवाणु झुलसा से बचाएं धान की फसल
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) खरीफ अभियान की प्रमुख धान की रोपाई का काम चल रहा है
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : खरीफ अभियान की प्रमुख धान की रोपाई का काम चल रहा है। पहले से रोपी जा चुकी फसल बढ़वार की ओर अग्रसर है। किसान बढ़ती फसल को देख भले ही गद्गद हो रहे हों लेकिन इसी के साथ ही हो रही तेज धूप व गर्मी के चलते फसल में खैरा व जीवाणु झुलसा रोग का खतरा भी बढ़ने लगा है। किसानों को फसल की देख-रेख के प्रति बेहद सावधान रहने की जरूरत है। जरा सी लापरवाही से लगने वाले रोग से पौधों की बढ़वार रुकेगी, पौधे सूख जाएंगे तो साथ ही पैदावार भी प्रभावित होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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कैसे होगा फसल का बचाव
- कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि वैज्ञानिक डा. आरपी चौधरी ने धान की फसल में लगने वाले खैरा रोग के लक्षण के बारे में बताया कि पौधों की पत्तियों पर कत्थई रंग के छींटे की तरह दिखाई पड़ने लगता है। साथ ही पत्तियां पीली होकर सूख जाती हैं। इससे बचाव के लिए पांच ग्राम जिक व 20 ग्राम यूरिया की दर से प्रति लीटर पानी के संग घोल तैयार कर एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार छिड़काव करना चाहिए। इसी तरह जीवाणु झुलसा में पत्तियां ऊपर से नुकीले आकार में व किनार-किनारे से सूखने लगती हैं। इस तरह के लक्षण दिखने पर किसानों को चाहिए कि स्ट्रेक्टोसाइक्लीन दवा चार ग्राम व 125 से 150 ग्राम कापर आक्सीक्लोराइड दवा को मिलाकर सवा सौ लीटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव करना चाहिए।