सुरक्षित रहेंगे आम के बौर तो मिलेगा बेहतर उत्पादन
फलों के राजा कहे जाने वाले आम के बागों में बौर दिखने लगे है। बगवानी किए लोग बौर देख खुशी भी जाहिर करने लगे हैं लेकिन बगवानों को देखभाल में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होगी। ताकि बौर सुरक्षित रहे तो उत्पादन बेहतर मिले। कारण है कि बौर में खर्रा, भुगुना रोग तो कीट रोगों के लगने के खतरा बना रहता है।
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) : फलों के राजा कहे जाने वाले आम के बागों में बौर दिखने लगे है। बगवानी किए लोग बौर देख खुशी भी जाहिर करने लगे हैं लेकिन बगवानों को देखभाल में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होगी। ताकि बौर सुरक्षित रहे तो उत्पादन बेहतर मिले। कारण है कि बौर में खर्रा, भुगुना रोग तो कीट रोगों के लगने के खतरा बना रहता है। यदि रोग लगा तो फिर उत्पादन प्रभावित होने से बचाना मुश्किल होगा।
डीम्ड यूनिवर्सिटी इलाहाबाद, नैनी के कृषि वैज्ञानिक विषय वस्तु विशेषज्ञ डा. मदनसेन ¨सह ने आम के फसल में आ रहे बौर में लगने वाले रोग व उनसे बचाव के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि फसल की देखभाल में लापरवाही करना लोगों को भारी पड़ सकता है। बताया कि विशेषकर बौर में खर्रा रोग लगता है। इसमें बौर सूख जाते है जिससे उसमें दाने नहीं पड़ते। बताया कि इसके बचाव के लिए घुलनशील गंधक पांच से दस प्रतिशत का घोल तैयार कर छिड़काव किया जा सकता है। इसी तरह भुगुना रोग से बचाव के लिए डाईमेथ्लेट या रोगार दवा दो मिलीलीटर एक लीटर पानी की दर से घोल तैयार कर छिड़काव करना लाभकारी होगा। बताया कि इसी तरह कीट विशेषकर चींटा भी बौर को नुकसान पहुंचाते हैं। चींटा पेड़ पर न चढ़ने पाए आधा किलो गेरू, दो लीटर जला मोबिल व ढाई सौ ग्राम चूना की दर से आपस में मिलाकर तने पर लेप कर देना चाहिए। इससे वह पेड़ पर नहीं चढ़ पाएंगे। कहा कि किसानों को सुरक्षात्मक ²ष्टि से छिड़काव कर देना चाहिए।