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- टोल टैक्स व डीजल मूल्य में कमी चाहते हैं ट्रांसपोर्टर

आगामी फरवरी माह में पेश किए जाने वाले आम बजट को लेकर अभी से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे विभिन्न व्यवसाय से जुड़े लोगों को बजट से काफी अपेक्षाएं हैं। जो जिस व्यवसाय से जुड़ा उसी में राहत की उम्मीद लगाए बैठा है। हालांकि यह तो बजट प्रस्तुत होने के बाद ही पता चलेगा कि वित्तमंत्री के पिटारे से किसके लिए राहत के सामान निकले किसके हाथ मायूसी लगी। बानगी के तौर पर जनपद के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी भी बजट की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। करोडों का माल सही सलामत गंतव्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाने वाले ट्रांसपोर्ट व्यवसायी भी इन दिनों विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 08:40 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 08:40 PM (IST)
- टोल टैक्स व डीजल मूल्य में कमी चाहते हैं ट्रांसपोर्टर
- टोल टैक्स व डीजल मूल्य में कमी चाहते हैं ट्रांसपोर्टर

जासं, भदोही : फरवरी में पेश किए जाने वाले आम बजट को लेकर अभी से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे विभिन्न व्यवसाय से जुड़े लोगों को बजट से काफी अपेक्षाएं जुड़ी हैं। जो जिस व्यवसाय से जुड़ा उसी में राहत की उम्मीद लगाए बैठा है। हालांकि यह तो बजट प्रस्तुत होने के बाद ही पता चलेगा कि वित्तमंत्री के पिटारे से किसके लिए राहत के सामान निकले किसके हाथ मायूसी लगी। हालांकि जनपद के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी भी बजट की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। वह टोल टैक्स व डीजल मूल्य में कमी चाहते हैं।

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ट्रांसपोर्टरों की चुनौतियां

करोड़ों का माल सही सलामत गंतव्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाने वाले ट्रांसपोर्ट इन दिनों विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहे हैं। आर्थिक मंदी के दौर में एक तरफ जहां पहले ही अपेक्षा माल लोडिग में भारी कमी आई है तो दूसरी ओर डीजल मूल्यों में वृद्धि व ट्रांसपोर्टेशन के विभिन्न खर्चों में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते ट्रांसपोर्टर भाड़ा बढ़ाने को विवश हैं। जबकि भाड़ा बढ़ने से सामान की कीमत बढ़ती है। इसी तरह सरकार को भरपूर टैक्स जमा करने के बाद भी सड़कों की हालत बेहद दयनीय है। खराब सड़कों के कारण जो माल 10 दिन में गंतव्य तक पहुंच जाना चाहिए वह 20 से 25 दिन में पहुंच रहा है।

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ऑनलाइन चालान बढ़ा रही दिक्कत

पिछले दिनों शुरू हुए वाहनों के ऑनलाइन चालान की प्रक्रिया ट्रांसपोर्टरों के लिए सबसे बड़ी समस्या साबित हो रही है। नियमों का पालन करने के बाद भी बेवजह चालान काटने की चल रही परपंरा ट्रांसपोर्टरों की दिक्कत बढ़ा देती है। कहां व कब चालान कटा, किसी को पता भी नहीं होता जबकि हजारों की नोटिस वाहन स्वामी के पास पहुंच जाती है। इन दिनों ट्रांसपोर्टरों के लिए यह गंभीर समस्या बनी हुई है। यही कारण है कि आगामी बजट पर ट्रांसपोर्टरों की नजरें टिकी हुई हैं।

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60 : करोड़ रुपये प्रति माह ट्रांसपोर्ट कारोबार

34 : ट्रांसपोर्टर जिले में

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ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को सुगम बनाने के लिए सरकार को बजट में विशेष प्रावधान करने की जरूरत है। विशेषकर टोल टैक्स में हुई भारी वृद्धि को कम करना होगा। इसके अलावा आनलाइन ई-चालान व्यवस्था सिरदर्द बनी हुई है, इससे मुक्ति दिलाने की जरूरत है।

चित्र. 35 - ए.एन पाठक

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टैक्स जमा करने, परिवहन विभाग के नियमों के पालन करने के बाद भी ट्रांसपोर्टरों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। डीजल मूल्य में भारी वृद्धि परेशानी का सबब है। इसमें कमी कर ट्रांसपोर्टरों को राहत पहुंचाई जा सकती है।

चित्र. 36 - जयचंद्र यादव

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सरकार परिवहन नियमों के तहत भरपूर टैक्स वसूल रही है। इसके बाद भी सुविधा के नाम पर गड्ढारूपी सड़क दे रही है। जो ट्रांसपोर्टरों के लिए गंभीर समस्या का कारण है। सरकार को आगामी आम बजट में सड़कों की दशा सुधारने के लिए विशेष प्रावधान करना चाहिए।

चित्र. 37 - नुरुल खान

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कालीन उद्योग की मंदी के कारण इन दिनों ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पूरी तरह दम तोड़ चुका है। सरकार को बजट में ऐसा प्रावधान करना होगा जिससे कालीन उद्योग का विकास हो। साथ ही ट्रांसपोर्ट व्यवसाय भी पहले की तरह फलने फूलने लगे।

चित्र. 38 - प्रदीप मिश्रा


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