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मुकुट पूजा के साथ रामलीला का शुभारंभ

क्षेत्र के लठियां गांव में चल रहे सात दिवसीय रामलीला शनिवार की रात मुकुट पूजा व श्रीराम जन्म के साथ प्रारंभ हुआ। श्री शिव रामलीला समिति के अध्यक्ष सच्चिदानंद त्रिपाठी ने दीप प्रज्जवलित कर रामलीला का आगाज किया। मंचन में अयोध्या नरेश राजा दशरथ के चौथेपर में भी किसी संतान की प्राप्ति नहीं हो पायी। इस कारण वो बहुत ही चितित थे। उन्होंने अपनी यह व्यथा कुलगुरु वशिष्ठ को सुनाई। पुत्र प्राप्ति के लिए गुरु वशिष्ठ ने राजा को पुत्रेस्टि यज्ञ करने की सलाह दी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 05:05 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 05:05 PM (IST)
मुकुट पूजा के साथ रामलीला का शुभारंभ
मुकुट पूजा के साथ रामलीला का शुभारंभ

जासं, चौरी (भदोही) : क्षेत्र के लठियां गांव में चल रहे सात दिवसीय रामलीला शनिवार की रात मुकुट पूजा व श्रीराम जन्म के साथ प्रारंभ हुआ। श्री शिव रामलीला समिति के अध्यक्ष सच्चिदानंद त्रिपाठी ने दीप प्रज्ज्वलित कर रामलीला का आगाज किया। मंचन में अयोध्या नरेश राजा दशरथ के चौथे पर में भी किसी संतान की प्राप्ति नहीं हो पायी। इस कारण वो बहुत ही चितित थे। उन्होंने अपनी यह व्यथा कुलगुरु वशिष्ठ को सुनाई। पुत्र प्राप्ति के लिए गुरु वशिष्ठ ने राजा को पुत्रेस्टि यज्ञ करने की सलाह दी। जिससे राजा दशरथ को चार पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। गुरु वशिष्ठ ने चारों पुत्रों का नामकरण किया। उधर मुनि विश्वामित्र की यज्ञ पूजा में असुर विघ्न उत्पन्न कर देते थे। अत: मुनि विश्वामित्र अपनी यज्ञ की रक्षा के लिए राजा दशरथ से उनके दो पुत्र राम व लक्षमण को मांग कर ले जाते हैं। रास्ते मे तड़का नामक राक्षसी का संहार श्रीराम ने कर दिया।

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