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बारिश में डूबा कालीन का कारोबार

मंदी से जूझ रहे कालीन उद्योग को न तो सरकार से राहत मिल रही है और प्रकृति ही साथ दे रहा है। लॉकडाउन के बाद शासन की गाइडलाइन के अनुसार व्यवसायियों ने कामकाज शुरू किया तो बारिश से पूरा कालीन कारोबार ही डूब गया है। इसके कारण कालीन की फिनीशिग वाशिग व पैकिग का कार्य प्रभावित हो रहा है। पिछले दो सप्ताह से हो रही बारिश ने निर्यातकों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 06:56 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 06:05 AM (IST)
बारिश में डूबा कालीन का कारोबार
बारिश में डूबा कालीन का कारोबार

जासं, भदोही: मंदी से जूझ रहे कालीन उद्योग को न तो सरकार से राहत मिल रही है और प्रकृति ही साथ दे रहा है। लॉकडाउन के बाद शासन की गाइडलाइन के अनुसार व्यवसायियों ने कामकाज शुरू किया तो बारिश से पूरा कालीन कारोबार ही डूब गया है। इसके कारण कालीन की फिनीशिग, वाशिग व पैकिग का कार्य प्रभावित हो रहा है। पिछले दो सप्ताह से हो रही बारिश ने निर्यातकों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। लोग जल्द से जल्द पुराने आर्डर के माल पैकिग कर भेजना चाहते हैं लेकिन मौसम साथ नहीं दे रहा है। उधर देरी होने पर आर्डर रद होने का खतरा बना हुआ है। यही कारण है कि निर्यातकों के सामने गंभीर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

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लाकडाउन के बाद लगभग ढाई माह तक कालीनों का कामकाज पूरी तरह ठप रहा। मई के दूसरे सप्ताह में शासन ने शर्तों के साथ कामकाज शुरू करने की अनुमति प्रदान की। इस दौरान पुराने आर्डर के माल तैयार कर लोग जल्द से जल्द निर्यात करने की तैयारी में जुटे थे लेकिन अनवरत हो रही बारिश ने व्यवधान उत्पन्न कर दिया। निर्यातकों के सामने बड़ी समस्या यह है कि गाइडलाइन के अनुसार उन्हें कम से कम कर्मचारियों, मजदूरों से काम लेना है। ऐसे में पहले से गोदामों में डंप माल को तैयार करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। अधिकतर निर्यातक इसे लेकर परेशान हैं। उधर लाकडाउन के कारण माल भेजने में पहले से ही देरी हो चुकी है। और विलंब होने पर आर्डर रद होने का खतरा बना हुआ है।......................

कामकाज पटरी पर लाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है लेकिन किसी न किसी कारण हाथ थम जा रहे हैं। एक तरफ तो मजदूर संकट है तो दूसरी ओर बारिश काम में बाधा डाल रही है। पिछले 15 दिन से समस्या बनी हुई है। उधर माल भाड़े में भारी वृद्धि होने के कारण छोटे से मजोले उद्यमियों की चिता अलग से बढ़ गई है। बावजूद इसके प्रयास किया जा रहा है पुराने का आर्डर का माल किसी तरह भेज दिया जाएगा।

श्याम नारायण यादव।

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लाकडाउन ने कालीन उद्योग की कमर तोड़ दी। अब काम शुरू हुआ तो बुनकर संकट चिता का विषय बना है। पुराने आर्डर के माल तैयार कराना मुश्किल है। जो माल पहले से तैयार है उसकी अंतिम टच देने में मौसम व्यवधान उत्पन्न कर रहा है। बावजूद इसके शासन की गाइडलाइन के अनुसार काम कराया जा रहा है। एक माह तक सब कुछ ठीक रहा तो पुराने माल निकाल दिए जाएंगे। नए की आर्डर की उम्मीद भी नहीं है।

-जयप्रकाश गुप्ता।


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