प्रवीणता को रोजगार अर्हता से जोड़ने का प्रविधान
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) उच्चतर शिक्षा में पाली फारसी एवं प्राकृत समेत लुप्तप्राय भा
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : उच्चतर शिक्षा में पाली, फारसी एवं प्राकृत समेत लुप्तप्राय भाषा के लिए राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किया जाएगा। भारतीय भाषाओं में प्रवीणता को रोजगार अर्हता के मानदंडों के एक हिस्से के तौर पर शामिल भी किया जाएगा। अपर शिक्षा निदेशक ललिता प्रदीप ने यह बातें कही। उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान प्रयागराज (आईएएसई) व एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे वेबिनार के आठवें एपिसोड का शुभारंभ कर वह शनिवार को शिक्षक व विद्वतजनों से मुखातबि थीं। कहा कि विविध परिवेश में सीखना और सिखाना दोनों सरल हो जाता है। जिसका हम जीवन पर्यंत आनंद उठाते हैं।
भारतीय भाषा, कला और संस्कृति का संवर्धन विषय की विस्तृत व्याख्या की। कहा कि भारत के आतिथ्य, हस्तशिल्प, साहित्य, योग, दर्शन, संगीत, पर्यटन की समृद्ध विरासत का संरक्षण, संवर्धन एवं प्रसार के लिए मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा व स्कूली शिक्षा से इन क्षेत्रों में विशिष्ट स्थान रखने वाले स्थानीय व्यक्तित्व को प्रशिक्षक के रूप में जोड़ने का प्रावधान राष्ट्रीय शिक्षा नीति में है। किसी भी उम्र का व्यक्ति भारतीय भाषाओं को पढ़ सकेगा और छात्रवृत्ति का भी पात्र होगा।आईएएसई से जुड़ी डॉ. रूपाली दिव्यम ने प्रौढ़ शिक्षा और जीवन पर्यंत सीखने पर चर्चा की। कहा कि साक्षरता दर का जीडीपी से प्रत्यक्ष संबंध है। प्रौढ़ शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम, समुदाय की भागीदारी, उपयुक्त बुनियादी ढांचा एवं सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की जाएगी। एमिटी लखनऊ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. उपेंद्रनाथ शुक्ल ने कहा कि प्रौद्योगिकी कई मायनों में शिक्षा को प्रभावित करेगी। इसके लिए राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच का गठन होगा। जिसके तहत संस्था का निर्माण, शैक्षिक नियोजन, प्रबंधन एवं प्रशासन सहित संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था में बदलाव होगा। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जयंती श्रीवास्तव ने संचालन किया। जिले जुड़े शिक्षक धीरज सिंह, अनामिका गुप्ता, ज्योति कुमारी आदि शिक्षकों ने भी नई शिक्षा नीति पर विचार साझा किए।