इन कर्मयोगियों के लिए जमकर बजाइए ताली
कोरोना महामारी दिन ब दिन पांव पसारती जा रही है। संक्रमितों की संख्या घटने के बजाए बढ़ती जा रही है। हर ओर अनजाने भय का वातावरण है। 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन है। चौथा चरण भी पूरा होने वाला है। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही लोग घरों से निकल रहे हैं। ऐसे हालात में भी समाज का जिम्मेदार तबका अपने कर्तव्यों का इमानदारी से पालन कर रहा है।
जासं, भदोही: कोरोना महामारी दिन ब दिन पांव पसारती जा रही है। संक्रमितों की संख्या घटने के बजाए बढ़ती जा रही है। हर ओर अनजाने भय का वातावरण है। 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन है। चौथा चरण भी पूरा होने वाला है। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही लोग घरों से निकल रहे हैं। ऐसे हालात में भी समाज का जिम्मेदार तबका अपने कर्तव्यों का इमानदारी से पालन कर रहा है। चिकित्सक दिन रात लोगों की स्वास्थ्य सेवा में जुटे हैं तो पुलिस के जवान सुरक्षा व्यवस्था संभालने के साथ साथ लोगों की मदद भी कर रहे हैं। इसी तरह समाचार पत्र वितरक भी अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों के घरों तक अखबार पहुंचाने का काम कर रहे हैं। वह भी ऐसे समय जब समाचार पत्रों का महत्व बढ़ गया है। ऐसा नहीं है कि उन्हें महामारी का खतरा नहीं है बल्कि वे अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ना चाहते। ग्राहक के सोकर उठने से पहले पहले अखबार उन तक पहुंचाने का काम अनवरत कर रहे हैं। ऐसे कर्मयोगियों के लिए न सिर्फ तालियां बनती हैं बल्कि वे उत्साहवर्धन के भी हकदार हैं। पाठकों को चाहिए कि ऐसे कर्मयोगियों को न सिर्फ सम्मान दें बल्कि अखबार का भुगतान भी समय से कर देना चाहिए।
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समाचार पत्र का वितरण 6 साल से कर रहे हैं। इस कार्यक्षेत्र में काफी मुश्किलें आती हैं लेकिन संकट इतना गंभीर होगा ये किसी ने नहीं सोचा था। लॉकडाउन के बीच डोर टू डोर समाचार वितरण कठिन कार्य है लेकिन वे इससे विचलित नहीं हैं। पूरी तरह सुरक्षा संसाधनों से लैस होकर अखबार बांटने का काम कर रहे हैं। भविष्य में भी अपने कर्तव्यों का पालन करते रहेंगे।
चित्र 13-शिवकुमार (समाचार पत्र वितरक)
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दो दशक से अधिक समय हो गया समाचार पत्र वितरण करते लेकिन ऐसी मुश्किल घड़ी उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था। व्यवहारिक तौर से कोई समस्या नहीं लेकिन चारों ओर अनजाने दहशत का वातावरण है। हर आदमी एक दूसरे को शक की नजर से देख रहा है। ऐसे में घर घर, गली गली जाकर अखबार वितरण करना मुश्किल काम है लेकिन वे इससे पीछे हटने वाले नहीं हैं। उनका उद्देश्य ही समाज व देश सेवा है।
चित्र 14-रविद्र उपाध्याय (समाचार पत्र वितरक)
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वाकई ऐसे कर्मयोगियों के लिए तालियां बजनी चाहिए। उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। समय पर उनका भुगतान होना चाहिए। क्योंकि हम उन्हीं की बदौलत सुबह सुबह देश व दुनियां के साथ अपने आसपास होने के वाले घटनाक्रमों को जान पाते हैं। गर्मी, बरसात हो या कड़कड़ाती ठंड, भोर में ही निकल कर ग्राहकों के घर घर अखबार पहुंचाना वास्तव में जिम्मेदारी व हौसले का काम है। वर्तमान समय तो और भी कठिन परिश्रम करना पड़ रहा है। ऐसे कर्मयोगियों को दिल की गहराइयों से सलाम।
चित्र 15 शहाबुद्दीन खां (समाजसेवी)
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इस समय पूरी दुनियां संकट के दौर से गुजर रही है। अपने देश को इस संकट से बचाने के लिए प्रशासन के साथ साथ समाज का हर जिम्मेदार तबका अपने कर्तव्यों के निर्वहन में जुटा है। चिकित्सकों, पुलिसकर्मियों के साथ साथ समाचार पत्रों में कार्यरत कर्मचारी, पत्रकार, वितरक भी अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं जो समाज व देशहित में हैं। ऐसे लोगों का हर संभव सम्मान होना चाहिए। विशेषकर समाचार पत्र प्रबंधन द्वारा वायरस मुक्त व्यवस्था सराहनीय पहल है। सभी को इनका सम्मान करना चाहिए।
चित्र 16 विनय दुबे (विपणन अधिकारी)