लेखपालों के नए कार्यालय होंगे पंचायत सचिवालय
-ग्रामीणों की कई समस्याओं का गांव से ही हो जाएगा निदान -आय जाति निवास और जमीन नापजोख को

-ग्रामीणों की कई समस्याओं का गांव से ही हो जाएगा निदान
-आय, जाति, निवास और जमीन नापजोख को नहीं लगानी होगी दौड़
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : लेखपालों को खोजते-खोजते ग्रामीण परेशान हो जाते हैं इसके बाद भी उन्हें पकड़ पाना टेढ़ी खीर साबित होता है। छोटे से काम के लिए महीनों चक्कर लगाना पड़ता है, इसमें लेखपाल मिल भी गए तो उनके पास कई ऐसे बहाने होते हैं जिससे पीड़ित को उसकी बात मानना विवशता होती है। पर अब ऐसा नहीं होगा, सरकार ग्रामीणों को तहसील का चक्कर लगाने वाली परेशानियों से छुटकारा दिलाएगी। जल्द ही लेखपालों को तहसीलों से छुट्टी दिलाकर उन्हें पंचायत सचिवालयों में शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि इस प्रक्रिया के लिए दो से तीन महीने लग सकता है पर यह तय है कि लेखपाल गांव के सचिवालय में ही बैठेंगे।
ग्रामीणों को आय, जाति, निवास, जमीन की नापजोख व अन्य जरूरी कार्यों के लिए लेखपाल को खोजना पड़ता है। लेखपाल भी इतने व्यस्त या लापरवाही बरतते हैं कि समस्या निबटाने के बजाय वे भी भागते रहते हैं। यूं कहें लेखपाल आगे रहते हैं और परेशान ग्रामीण उनके पीछे। इसमें जिसके हाथ वे लग गए उनकी समस्या का समाधान हो जाता है, जिसे वे नहीं मिले वे भटकते रहते हैं। कई गांवों पर एक लेखपाल
सरकार का फरमान भले ही लेखपालों के पंचायत सचिवालय में बैठने के लिए हो गया है पर इसमें भी झोल है। कई गांव पर एक लेखपाल है। इसके लिए यह तय होगा कि सप्ताह में एक या दो दिवस वह पूरे दिन गांव के सचिवालय में बैठेंगे। गांव की जितनी भी समस्याएं उसके स्तर की होंगी उसका वह निबटारा करेगा। जहां विवाद होगा उसके लिए संबंधित तहसीलदार, एसडीएम की मदद से वह पुलिस बल आदि की मांग कर सकेगा। ----------------------
अभी लेखपालों के लिए शासनादेश तो नहीं आया है, पर शासन से यह स्पष्ट हो गया है कि वे तहसीलों के बजाय पंचायत सचिवालयों में बैठेंगे। वैसे अभी तक पंचायत भवन भी नहीं बन पाए हैं। एक दो महीने इसमें समय लग सकता है।
योगेंद्र साहू, एसडीएम, ज्ञानपुर।
Edited By Jagran