हाईवे निर्माण में काटे जाएंगे दो हजार से अधिक पेड़
विकास के नाम पर की जा रही अंधाधुंध पेड़ों
हाईवे निर्माण में काटे जाएंगे दो हजार से अधिक पेड़
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर(भदोही) : विकास के नाम पर की जा रही अंधाधुंध पेड़ों की कटाई ने पर्यावरण की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है। जिस रफ्तार से पेड़ों को काटा जा रहा उसी रफ्तार में पौधा रोपित नहीं किए जा रहे हैं। मछलीशहर-वाराणसी हाईवे निर्माण में दो हजार से अधिक पेड़ काटे जाएंगे। वन विभाग की ओर से इसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को भेजी जा चुकी है।
बिगड़ते पर्यावरण संतुलन को लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं। विकास के बहाने चहुंओर मनमानी तरीके से पेड़ों के धड़ से अलग कर दिए जा रहे हैं। नियमानुसार सड़कों के चौड़ीकरण करते समय सड़कों के विशालकाय पेड़ काट दिए जाते हैं। इसके एवज में निर्माण एजेंसी पौधारोपण करने के लिए बजट आवंटित करता है। एक पेड़ के बदले में 10 पौधा रोपित करने लिए बजट दिए जाते हैं। मछलीशहर-वाराणसी हाईवे निर्माण में दो हजार पेड़ प्रभावित होंगे। वन विभाग की ओर से इसकी की रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को भेजी जा चुकी है। प्रभागीय वनाधिकारी नीरज कुमार आर्य ने बताया कि एक महीने ही पूरी रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। अभी तक पेड़ों का मुआवजा नहीं मिला है। मुआवजा मिलने के बाद प्रभावित पेड़ों की कटाई कराई जाएगी।
दुद्धी- लुंबनी मार्ग पर पड़ने वाले कुल 2260 पेड़ चिन्हित किए गए थे। इसके लिए लोक निर्माण विभाग ने दो करोड़ 65 लाख रुपये वन विभाग को भुगतान किया था। ऊंज से लेकर बाबूसराय तक फोरलेन निर्माण के दौरान 200 से अधिक पेड़ काटे गए थे। इसके एवज में 60 लाख का भुगतान किया गया था। ज्ञानपुर से गोपीगंज मार्ग के लिए 22 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। भदोही से बाबतपुर फोर लेन पर भी करीब डेढ़ हजार पेड़ काटे जा चुके है। हंडिया-राजातालाब हाइवे के चौड़ीकरण में चार हजार एक सौ 53 पेड़ काटे गए थे। हकीकत यह है कि जितने पेड़ काटे गए उतने लगाए नहीं गए।