उठी लॉडो की डोली तो गरीबी के जख्म भूली
गुरुवार को विभूति नारायण राजकीय इंटर कालेज ज्ञानपुर के मैदान पर गरीब परिवार के कन्याओं के हाथ पीले कराने के लिए संचालित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत समारोह में एक दो नहीं पूरे सौ मां-बाप के सिर से बेटियों की शादी का बोझ उतर गया।
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जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर, भदोही : डीघ ब्लाक का कलनुआ गांव। विद्या देवी को पति का साथ 20 साल पहले ही छूट गया। दो बेटी और दो बेटों को खुद उसने बड़े लाड़-प्यार से पाला। खुद नमक रोटी खाया, लेकिन बच्चों को काबिल बनाने में लगी हुई है। बेटियों की शादी उसे मानों बोझ लग रहा था। बोझ इसलिये क्योंकि घर में आय का कोई जरिया नहीं था। बेटी सुनीता को लेकर वह बहुत चितित रहती, क्योंकि उसकी आंखों से कम दिखाई देता है। खुद शादी तलाशते उसे सालों गुजर गये लेकिन अच्छा वर नहीं मिल रहा था। लेकिन विभूति नारायण राजकीय इंटर कालेज के मैदान में उसकी हसरत पूरी हो गई। उसकी बेटी अब नेत्रहीन रतन लाल की जिदगी संवारेगी। बोझिल नजरों से वह उसके जीवन में खुशियों के नए रंग भरेगी। विद्या तो सिर्फ नजीर मात्र है, उसके जैसे इस सामूहिक विवाह में कई गरीब बेटियों के हाथ पीले हो गये। वह अब नए जीवन की शुरूआत कर चुके हैं।
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चित्र 12 -- दिल से योजना को बताया शानदार
ज्ञानपुर नगर के पुरानी बाजार निवासी सुनील कुमार छोटी सी जनरल स्टोर की दुकान संचालित कर किसी तरह परिवार का जीविकोपार्जन कर रहे थे। आर्थिक तंगी से पुत्री मोनिका मोदनवाल की शादी उनके लिए किसी बड़े बोझ से कम नहीं दिखाई पड़ रही थी। उनकी मुश्किल को आसान किया मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना ने। गुरुवार को नगर के ही मोहित मोदनवाल के साथ उसने सात फेरे लिए व शादी संपन्न हुई तो उनकी सारी मुश्किलें दूर हो उठी।
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चित्र 14 -- लग ही गई गरीबी की नैया पार
मेहनत मजदूरी करके परिवार चलाने वाली डीघ ब्लाक की अमिलहरा निवासी सरोजा देवी के लिए भी पुत्री बबिता के हाथ पीले करना आसान नहीं लग रहा था। हर वक्त यहीं चिता सालती रहती थी कि कैसे होगी उसकी नैया पार। बेटी बढ़ती जा रही थी तो मां को उसके लग्न की चिता खाए जा रही थी। उसकी चिता व तमाम मुश्किलों का हल खोज निकाला मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना ने। गुरुवार को जब बेटी की मांग में सिदूर सजते देखा तो वह भी विभोर हो उठी।
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चित्र 15-- और नहीं रहा खुशी का ठिकाना
डीघ ब्लाक की कंचनपुर निवासी प्रमिला वनवासी भी मेहनत मजदूरी करके परिवार चला रही थीं। उन्हें भी बेटी संतरा की शादी किसी बोझ से कम नहीं दिख रही थी। गुरुवार को योजना के तहत जब बेटी के हाथ पीले हुए और वह नंदलाल के साथ परिणय सूत्र बंधन में बंधी तो मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।